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सरसों की लहलहाती फसल देख किसान हो रहे गदगद

सरसों की लहलहाती फसल देख किसान हो रहे गदगद

कोढ़ा. कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र में गत वर्ष की वनिस्पत इस वर्ष पीले फूलों से लदे सरसों की फसल लहलाहा रही है. मस्त हवा के झोंके से लहलहाती सरसों की फसल को देख किसान प्रसन्न हैं. बाजार में सरसों तेल के मूल्य में वृद्धि को देख किसान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरसों की खेती का दायरा बढ़ाकर अच्छी खासी आमदनी का स्रोत ढूंढ निकाला है. किसानों का मानना है कि कम लागत व कम समय में सरसों फसल की खेती कर अच्छी पैदावारी से आर्थिक दशा में सुधार हो सकता है. किसानों का यह भी मानना है कि सरसों फसल काटने के बाद गरमा धान व मखाना की खेती आराम से किया जा सकता है. हालांकि पहले प्रखंड क्षेत्र में लगभग किसान नगदी फसल के रूप में केला व मखाना तथा मक्का को प्राथमिकता देते थे. पर केला में पनामा विल्ट नामक रोग लग जाने के बाद रकबा कम होने के बाद मक्का गरमा धान व मखाना के साथ-साथ सरसों की खेती को भी बढ़ावा देने लगे हैं. किसानों ने बताया कि सरसों की खेती अगर बेहतर ढंग से किया जाय और ससमय जब जिस चीज की जरूरत हो उसका उपयोग किया जाय तो उम्मीद के मुताबिक पैदावारी होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और सबसे अहम बात यह है कि तेलहन की खेती से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. तिलहन फसल काटने के बाद उन खेतों में अगला फसल जो भी फसल लगाया जाता है. इस फसल की भी पैदावार अच्छी होती है. जबकि मक्का खेती के वनिस्पत लागत खर्च भी काम होता है. समय भी कम लगता है. बीएओ नवीन कुमार ने बताया कि सरसों खेती को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता के साथ-साथ बीज भी अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया जाता है. इस बार सरसों की खेती में बेहतर पैदावार होने की संभावना है.

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