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सामाजिक व मानवीय मूल्यों की हिफाजत में सफदर की हुई शहादत : सिंह

इप्टा की सांस्कृतिक पाठशाला की 61वीं कड़ी में सफदर हाशमी के शहादत सप्ताह के तहत विचार गोष्ठी हुई.

मेदिनीनगर. इप्टा की सांस्कृतिक पाठशाला की 61वीं कड़ी में सफदर हाशमी के शहादत सप्ताह के तहत विचार गोष्ठी हुई. इप्टा कार्यालय में आयोजित परिचर्चा सह गोष्ठी की अध्यक्षता सुरेश सिंह ने की. परिचर्चा में शामिल वक्ताओं ने सफदर हासमी के व्यक्तित्व व कृतित्व विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला. अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रांतीय अध्यक्ष केडी सिंह ने कहा कि सफदर हासमी की शहादत से समाज के लोगों को सीख लेनी चाहिए. सामाजिक एवं मानवीय मूल्यों की हिफाजत करने में सफदर हासमी की शहादत हुई. वे जनता की बात जनता की भाषा में ही उनके बीच रखते थे. अपने नाटक और गीतों के माध्यम से समाज को जगाने का प्रयास किया. उनके द्वारा लिखित नाटक आज भी प्रासंगिक हैं, जो कलाकारों को अपनी ओर आकर्षित करता है. उन्होंने कहा कि सफदर हासमी का नाटक और गीत राष्ट्र की राजनीति को दिशा प्रदान करता रहा है. सुरेश सिंह ने सफदर हासमी की मां कमर हासमी के द्वारा लिखित पुस्तक में वर्णित बातों को रखा. उपेंद्र मिश्रा ने कहा कि सफदर हासमी नाटक व गीत में समाज की सभी पहलुओं को समाहित करने का प्रयास किया है. लेखन व कला शैली के कारण समाज के निचले तबके तक उनका जुड़ाव था. मौके पर राजीव रंजन, गोविंद प्रसाद, घनश्याम आदि ने विचार व्यक्त किया. प्रेम प्रकाश ने विषय प्रवेश कराया. मौके पर कुलदीप राम, शशि पांडेय, संजीव कुमार संजू, अजित कुमार सहित कई लोग मौजूद थे.

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