कोलकाता. आरजी कर मेडिकल काॅलेज एंड हॉस्पिटल में आर्थिक धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष संदीप घोष ने अलीपुर स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में जमानत याचिका दायर की. संदीप के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी का आधार नहीं दिखाया गया है. उनकी गिरफ्तारी गैर-कानूनी है. इससे पहले वह 15 बार दूसरे मामले में जांच अधिकारियों के समक्ष पेश हो चुके हैं. यानी वह जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं. लेकिन आगे की जांच के लिए उन्हें हिरासत में क्यों रखा जाना चाहिए? जवाब में सीबीआइ के वकील ने कहा कि संदीप घोष को क्यों गिरफ्तार किया गया, यह अरेस्ट मेमो में स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ है. संदीप घोष बहुत प्रभावशाली हैं. थ्रेट कल्चर में गिरफ्तार आशीष पांडेय का वह समर्थन करते थे. अयोग्य विद्यार्थियों से हर माह मोटी रकम वसूली जाती थी. इसमे संदीप घोष भी शामिल हैं. उन्हें जमानत देने पर जांच प्रभावित हो सकती है. वहीं, सुमन हजार के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल का इस मामले से कोई सीधा संबंध नहीं है. वह 127 दिनों से हिरासत में हैं, इसी वजह से जमानत के लिए आवेदन कर रहे हैं. इस पर सीबीआइ के वकील ने कहा कि सुमन हाजरा पूरे सिस्टम को कंट्रोल करता था. जमानत मिलने पर गवाहों को प्रभावित करने से लेकर सबूतों से छेड़छाड़ तक हो सकती है. इसलिए आगे की जांच के लिए दोनों को हिरासत में रखना जरूरी है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज ने संदीप घोष एवं सुमन हाजरा की जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया. साथ ही अन्य तीन आरोपियों को 20 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में रखने का निर्देश दिया.
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