Chanakya Niti: नीति शास्त्र के आचार्यों की लिस्ट तो बहुत लंबी है, लेकिन शुक्राचार्य, आचार्य बृहस्पति, महात्मा विदुर और आचार्य चाणक्य प्रमुख हैं. आचार्य चाणक्य ने श्लोक और सूत्रों के माध्यम से नीतिशास्त्र का व्याख्यान किया है. चाणक्य नीति जीवन के सभी पहलुओं को संतुलित करने की कला सिखाती है. चाणक्य के विचार आज भी व्यक्तिगत, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन सफलता प्राप्त करने में मददगार साबित होते हैं. उन्होंने स्त्री और पुरुष दोनों के गुणों और अवगुणों के बारे में उल्लेख किया है. चाणक्य ने कुछ बातों के लिए लोगों को आगाह किया है, वे कहते हैं कि इन व्यवहार वाले इंसान से संबंध रखने पर बुद्धिमान व्यक्ति को सिर्फ नुकसान उठाना पड़ता है.
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मूर्ख लोगों को ज्ञान देना
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो मूर्ख लोगों को ज्ञान नहीं देना चाहिए, क्योंकि मूर्ख लोगों को ज्ञान देने के बाद भी उन पर कोई असर नहीं होता है. मूर्ख लोगों को शिक्षा देने पर सिर्फ समय की बर्बादी होती है. मूर्ख लोगों को ज्ञान देने से कोई लाभ नहीं होता है. ऐसा करने पर सज्जन और बुद्धिमान लोग हानि ही उठाते हैं.
दुखी या रोगी व्यक्ति से संबंध रखने पर
चाणक्य नीति के मुताबिक, जो इंसान दुखी और रोगी व्यक्ति से संबंध रखता है उसे लाभ होने की बजाय सिर्फ हानि ही होती है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अनेक रोगों खासकर संक्रामक रोगों से ग्रसित है, उसके संपर्क में आने से निरोगी व्यक्ति को ही हानि होती है. इसके अलावा, जो व्यक्ति दुखी है उसके साथ रहना भी हानिकारक साबित होता है, क्योंकि ऐसे लोगों का दुख से उबरना मुश्किल हो जाता है.
दुष्ट या व्यभिचारी स्त्रियों से
चाणक्य नीति के अनुसार, सज्जन व्यक्तियों को कभी भी दुष्ट और व्यभिचारी स्त्रियों के साथ नहीं रहना चाहिए. इन स्त्रियों के साथ रहने पर या उनका पालन-पोषण करने पर बुद्धिमान व्यक्ति को हानि ही उठानी पड़ती है.
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