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अभिभावकों की बात सुनकर Coffee With SDM कार्यक्रम में भावुक हुए पदाधिकारी, जानें क्या है पूरा मामला

Coffee With SDM: गढ़वा में कॉफी विथ एसडीएम के कार्यक्रम में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों अभिभावक शामिल हुए. इस दौरान उनकी आपबीती सुन वहां पर मौजूद पदाधिकारी भी भावुक हो गये.

गढ़वा : गढ़वा में बुधवार को पूर्व निर्धारित समयानुसार आयोजित “कॉफी विद एसडीएम” कार्यक्रम में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के परिजनों के साथ अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने संवाद किया. तकनीकी प्रकृति का विषय होने के कारण कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित एक्सपर्ट के रूप में गढ़वा जिले के सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ हरेन चंद्र महतो, अस्पताल प्रबंधक विकास केसरी और डीपीएम भी मौजूद रहे. इस दौरान एक समय ऐसा भी आया जब अभिभावकों की पीड़ा सुनकर पदाधिकारी भी भावुक हो उठे.

अभिभावकों की आपबीती से भावुक हुए पदाधिकारी

संवाद के क्रम में कई अभिभावकों ने अपनी पीड़ा को भी बयां किया. गढ़वा के बघमार निवासी कुलदीप पाल ने बताया कि थैलेसीमिया से उनकी छह संतानों का निधन हो चुका है, अब एक मात्र सातवीं संतान के रूप में बेटी है जो खुद भी थैलेसीमिया से पीड़ित है. वे इसे खोना नहीं चाहते हैं. वहीं, एक अभिभावक शीला देवी ने बताया कि उनके दोनों बच्चे थैलेसीमिया से ग्रसित हैं जबकि उनके पति शराब पीते हैं, ऐसे में उनका जीवन बहुत कष्टकारी हो गया है. अभिभावकों की ऐसी पीड़ा सुनकर कुछ देर के लिए भावुक हो गये.

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41 ऐसे अभिभावक पहुंचे थे कार्यक्रम में

एसडीओ संजय कुमार के आमंत्रण पर अनुमंडल कार्यालय स्थित सभागार में आहूत इस विशेष कार्यक्रम में 41 ऐसे अभिभावक पहुंचे हुए थे. इनमें से कई लोगों का एक बच्चा और किसी के तो दो से तीन बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित मिले. मंगलवार को 50 बच्चों के अभिभावकों ने अपनी अपनी समस्याएं रखते हुए जिले में रक्त कोष प्रबंधन को लेकर अपने कई अहम सुझाव दिये.

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ब्लड बैंक के काउंसलर के व्यवहार को लेकर मिलीं शिकायतें

बैठक में मौजूद लगभग सभी अभिभावकों ने सदर अस्पताल के ब्लड बैंक के काउंसलर के व्यवहार की शिकायत की. सभी का आरोप था कि ब्लड बैंक काउंसलर कभी ढंग से बात नहीं करते हैं और न ही रक्त कोष की उपलब्धता की सही-सही जानकारी देते हैं. इस पर अनुमंडल पदाधिकारी ने बैठक में मौजूद सिविल सर्जन और उपाधीक्षक से आवश्यक कार्रवाई करने को कहा.

रक्त की उपलब्धता की जानकारी हर समय सूचना पट पर प्रदर्शित हो

अभिभावकों की समस्याओं को सुनने के दौरान सिविल सर्जन ने जानकारी दी कि ब्लड बैंक में किसी दिन किस ब्लड ग्रुप की कितनी उपलब्धता है, इसे ऑनलाइन देखा जा सकता है. इस पर अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि गांव देहात के आए लोगों के सूचना के लिए हर समय रक्त उपलब्धता की मौजूदा जानकारी ब्लड बैंक के बाहर ब्लड ग्रुप के अनुरूप एक सारणी में भी प्रदर्शित करवायें.

बच्चों को खून उपलब्ध कराने की प्रक्रिया बनाएं सरल

अभिभावकों से संवाद के दौरान में जो सुझाव मिले उसके आलोक में संजय कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों से कहा कि वे थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को त्वरित रूप से रक्त उपलब्ध कराने हेतु प्रक्रिया को थोड़ा सरल करें. अभी दूर-दराज से परेशान अभिभावक बार-बार रक्त के लिए अस्पताल आते हैं, उन्हें सिविल सर्जन और उपाधीक्षक से हस्ताक्षर कराने समेत कई औपचारिकतायें पूरी करने के बाद ही रक्त कोष में अधियाचना करनी होती है. ऐसे में कई बार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों को खून मिलने में बहुत विलंब हो जाता है. जबकि बच्चों की स्थिति पहले से ही बहुत गंभीर और दयनीय होती है. इसलिए रक्त अधियाचना की प्रक्रिया को अपेक्षाकृत सरलीकृत करने के लिए सिविल सर्जन तथा उपाधीक्षक से आवश्यक पहल करने हेतु कहा गया.

थैलेसीमिया डे केयर सेंटर तथा थैलेसीमिया कार्ड हेतु होगी पहल

संवाद के दौरान ही सिविल सर्जन, उपाधीक्षक ने अनुमंडल पदाधिकारी और बच्चों के परिजनों के बीच जानकारी दी कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें. इसको लेकर सदर अस्पताल थैलेसीमिया डे केयर सेंटर और थैलेसीमिया कार्ड जैसी पहल शीघ्र करेगा.

थैलेसीमिया से जुड़े सरकारी राहत कार्यक्रमों की दी गई जानकारी

संवाद के दौरान चिकित्सा पदाधिकारी ने पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को थैलेसीमिया से जुड़े विभिन्न तकनीकी पहलुओं और सरकारी राहत कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. सिविल सर्जन ने बताया कि सभी लोग अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में गोल्डन कार्ड के लिए जरूर अप्लाई कर दें, इस योजना में 5 लाख से लेकर 20 लाख तक की सहायता का प्रावधान है.

राशन कार्ड आदि जैसी निजी समस्याओं को भी सुना गया

रिजवाना खातून, शशि कुमार दुबे, संजय राम, शीला देवी, जुबेर अंसारी, हुसेना खातून आदि अभिभावकों ने बताया कि काफी प्रयासों के बाद भी उनके बच्चों का नाम राशन कार्ड में नहीं जुड़ पा रहा है, जिस कारण वे बच्चों को सरकारी राहत कार्यक्रम से नहीं जोड़ पा रहे हैं. इसी प्रकार कुछ अभिभावकों ने अन्य निजी समस्यायों को रखा. सभी को एसडीओ की तरफ से आश्वस्त किया गया कि वे आवश्यक कार्रवाई करेंगे.

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