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बनिहारों की मौत के 14 साल बाद भी सीधा नहीं हुई भगवान घाटी

बनिहारों की मौत के 14 साल बाद भी सीधा नहीं हुई भगवान घाटी

केतार. केतार प्रखंड के भगवान घाटी में 14 जनवरी 2010 को दिल दहला देनेवाली घटना हुई थी. इसमें पड़ोसी राज्य बिहार से धनकटनी कर ट्रक से वापस लौट रहे 30 बनिहारों की मौत घाटी के नीचे ट्रक पलटने से हो गयी थी. तब से लेकर लगातार भगवान घाटी के चढ़ाई को कम करने, इसे सीधा करने तथा पलायन रोकने की मांग होती रही है. वहीं दुर्घटना स्थल पर हर वर्ष नौजवान संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में दुर्घटना स्थल पर शहीद बनिहार बेदी बनाकर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाती है. इस घटना के बाद से प्रखंड क्षेत्र में मकर-संक्रांति का त्योहार मृत मजदूरों की याद में सादगी से मनाया जाता है. क्षेत्र वासियों की लंबे समय से मांग है कि भगवान घाटी की ढाल (स्लोप) कम कर इसे सीधा किया जाये, ताकि दोबारा उक्त घटना की पुनरावृत्ति न हो. पर तब से लेकर अब तक की सरकारों ने इस पर कोई खास पहल नहीं की है. सिर्फ सड़क की मरम्मत कर लोहे का बैरिकेड लगा दिया गया है. यहां अब भी सड़क दुर्घटना होती रहती है. वहीं दूसरी ओर सिंचाई के अभाव में मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है. इस इलाके से बड़ी संख्या में मजदूर नवंबर- दिसंबर के महीने में ही बिहार एवं उत्तर प्रदेश चले जाते हैं. इनमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं उनके बच्चे भी होते हैं. मजदूरों के साथ-साथ महिला मजदूर एवं उनके छोटे-छोटे बच्चे भी साथ चले जाते हैं. इस कारण गांव के गांव सुने हो जाते हैं. मजदूरों की टोली धान कटनी करने के बाद मजदूरी में मिले धान से भरी बोरी ट्रकों में भरकर जनवरी के महीने में वापस लौटती है. नयी सरकार से उम्मीद : नव वर्ष में नयी सरकार से लोगों की उम्मीद है कि शायद इस पर पहल हो और भगवान घाटी को चटनिया डैम के ऊपर उच्च स्तरीय पुल बनाकर डैम के समीप स्थित मुख्य सड़क से जोड़ने की मांग पूरी हो जाये. इससे दुर्घटना को रोका जा सके. यह उम्मीद भी है कि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करा कर मजदूरों का पलायन रोका जा सकेगा.

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