एक आदमी की मौत पहले 2023 में होती है और फिर वही आदमी 2024 में भी मरता है. चौंकिए मत… ये हकीकत तो हो भी नहीं सकता पर ऐसा सरकारी कागज पर जरूर हुआ है. सरकारी सहायता राशि को गटक करने के चक्कर में बिहार में एक ही आदमी को दो बार ऊपर भेज दिया गया. यानी मरा हुआ बताया गया. उसकी मृत्यु की अलग-अलग तारीख सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद है. उसका दूसरा डेथ सर्टिफिकेट भी बिचौलिये और मनरेगा कर्मियों ने मिलकर जारी कर दिया और सरकारी सहायता राशि गटक कर गए. पूरा मामला सामने आया है तो अब जांच की बात कही जा रही है.
क्या है पूरा मामला…
यह पूरा मामला लेबर कार्ड से जुड़ा है. एक मजदूर की मौत के बाद किस तरह उसके फर्जी डेथ सर्टिफिकेट से पैसे की उगाही की गयी ये सामने आया है. जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के गूगलडीह पंचायत के छेदलाही गांव निवासी गुलो तांती की मौत 20 दिसंबर 2023 को हो गयी थी. परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन दलालों ने गिद्धौर प्रखंड में मनरेगा के कर्मियों के साथ मिलकर मृतक का दूसरा डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया. इस बार उनकी मृत्यु की तारीख नौ फरवरी 2024 बतायी गयी.ये सब किया गया गुलो तांती के नाम पर बने लेबर कार्ड पर सहायता राशि उठाने के लिए.
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दो डेथ सर्टिफिकेट जारी कराया
गुलो तांती का पहला डेथ सर्टिफिकेट जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर डी2024: 10-61813-00022 है, वो 16 जनवरी 2024 को अप्लाई होने पर जारी हुआ था. जब बिचौलियों को पता चला कि मृतक के लेबर कार्ड का नवीनीकरण नहीं हुआ था तो उसके लेबर कार्ड का यह काम उन्होंने पहले निपटाया. उसके बाद पहले से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र को गटक करके दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र रजिस्ट्रेशन संख्या डी 2024:10-61813-000114 जारी करा लिया. उसके बाद राशि के लिए आवेदन करके 2 लाख 5 हजार रुपये जारी करा लिए.
गटक लिए 2 लाख रुपए
सांख्यिकी विभाग ने 16 मई 2024 को गुलो तांती का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया. इसमें उसकी मृत्यु की तारीख 9 फरवरी बतायी गयी थी. इसी के आधार पर सहायता राशि के लिए आवेदन किया गया और 30 सितंबर 2024 तथा 5 अक्टूबर 2024 को दो अलग-अलग ट्रांजेक्शन के माध्यम से कुल दो लाख 5 हजार रुपये का भुगतान किया गया. 30 सितंबर 2024 को 5 हजार रुपये का भुगतान किया गया. जबकि 5 अक्टूबर 2024 को 2 लाख रुपये का भुगतान किया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी?
इस मामले पर जमुई के सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी सुशील कुमार चौधरी ने कहा कि एक व्यक्ति का एक ही डेथ सर्टिफिकेट बन सकता है. इस मामले को लेकर संबंधित रजिस्ट्रार से पूछा गया है. अगर इसमें सच निकला तो कार्रवाई होगी. वहीं जमुई के श्रम अधीक्षक रतीश कुमार ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही राशि की स्वीकृति दी गयी थी. हालांकि मामले में जांच कराई जा रही है. अगर किसी भी प्रकार की गलती सामने आती है, तब इसमें कार्रवाई की जायेगी.