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सोने की तस्करी में अंतरराष्ट्रीय रैकेट के सामने बड़ी दीवार बनी बीएसएफ

यही वजह है कि बीएसएफ, साउथ बंगाल फ्रंटियर क्षेत्र में सोने की जब्ती के परिमाण में भी वृद्धि हुई है.

तस्करी को रोकने के लिए सीमा पर बीएसएफ की महिला कर्मी भी मुस्तैद

अमित शर्मा, पेट्रापोल

पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश से भारत में सोने की तस्करी से जुड़े अंतरराष्ट्रीय रैकेट के समक्ष सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) बड़ी दीवार बना है. तस्करों द्वारा अपनाये जाने वाले हर हथकंडों को नाकाम करते हुए बीएसएफ ने उनके मंसूबों को असफल किया है. यही वजह है कि बीएसएफ, साउथ बंगाल फ्रंटियर क्षेत्र में सोने की जब्ती के परिमाण में भी वृद्धि हुई है. वर्ष 2023 की तुलना में 2024 में सोना जब्ती के परिमाण में 16 से ज्यादा किलो की वृद्धि हुई है. बीएसएफ के अनुसार, 2023 में सोने की तस्करी को विफल करते हुए करीब 160 किलोग्राम सोना जब्त किया गया, जिसकी कीमत करीब 127 करोड़ आंकी गयी. वर्ष 2024 में जब्ती का आंकड़ा 176 किलोग्राम से भी ज्यादा रहा और बीएसएफ के इंटेलिजेंस नेटवर्क और जवानों की सतर्कता ने सोने तस्करी के नेटवर्क को करीब 140 करोड़ रुपये का बड़ा झटका दे डाला. गत दोनों वर्षों में बीएसएफ ने लगभग 267 करोड़ का सोना जब्त किया है.

तस्करी के लिए महिलाओं व बच्चों का भी इस्तेमाल : सोना तस्करी से जुड़े गिरोह अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए महिलाओं और बच्चों का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकते हैं, ताकि बीएसएफ के जवानों को संदेह न हो. यही वजह है कि तस्करों का गिरोह सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले छोटे-छोटे बच्चों, विद्यार्थियों व महिलाओं का इस्तेमाल कैरियर के रूप में करते हैं. यानी उनका इस्तेमाल सामानों को एक से दूसरे स्थानों में पहुंचाने के लिए भी किया जाता है. ऐसे बच्चों और महिलाओं को लाखों का सामान पहुंचाने के एवज में करीब 400 से 500 रुपये दिये जाते हैं. सीमा के पास मौजूद खेतों में काम करने के दौरान तस्कर महिलाओं व बच्चों के जरिये सोने की खेप भेजने की कोशिश करते हैं. महिलाओं और बच्चों के जरिये होने वाली तस्करी को रोकने के लिए बीएसएफ, साउथ बंगाल फ्रंटियर में बल में पर्याप्त संख्या में महिला कर्मियों की भी तैनाती की गयी है. यहां बीएसएफ के हर बटालियन में महिला कर्मियों की संख्या लगभग 100 रहती है.

तस्करों के हथकंडे

भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में सोना ही नहीं, बल्कि ड्रग्स या फिर किसी दूसरे चीज की तस्करी के लिए तरह-तरह के हथकंडे तस्कर अपना रहे हैं. ऐसा इसलिए भी हो रहा है, क्योंकि बीएसएफ, साउथ बंगाल फ्रंटियर ने तस्करों पर नकेल कसी है और तस्करों को नये तरीके अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यही वजह है कि तस्कर बीएसएफ के जवानों की आंखों में धूल झोंकने के लिए जूतों के तल्ले, खेती-बाड़ी वाले औजारों, मोटरसाइकिल के एयरफिल्टर, ट्रैक्टर व ट्रक में बनाये गये गुप्त चेंबर, मोटरसाइकिल के तेल टैंकर, तरबूज व अन्य फलों के अंदर सोना छिपाकर तस्करी की कोशिश करते हैं. इतना ही नहीं, कुछ मामलों में तो सोने को पेस्ट के रूप में शरीर के अंदरूनी हिस्सों में छिपाकर तस्करी की कोशिश की वारदात भी सामने आयी है. सीमा के पास लगे बाड़ के ऊपर से भी पोटला व पैकेट में सोना रखकर तस्करी की कोशिश की जाती है.

तस्करी के कुछ मार्ग

बीएसएफ, साउथ बंगाल फ्रंटियर के अंतर्गत आने वाले भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां सोने की तस्करी की वारदात हो चुकी है. इन इलाकों में उत्तर 24 परगना का पेट्रापोल, हकीममपुर, बिठारी, तराली, तेंतुलबेड़िया, स्वरूपदाह, घोजाडांगा, हरिदासपुर, नदिया का पुट्टीखली, माजदिया, नातना, मुर्शिदाबाद स्थित चारभद्र, फर्जीपाड़ा व मालदा का बोयराघाट भी शामिल हैं.

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