हाजीपुर. राजद नेता पूर्व मंत्री आलोक मेहता पर ईडी ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को इडी की टीम ने हाजीपुर और महुआ में चार जगहों पर छापेमारी की. सुबह करीब दस बजे ईडी की टीम ने अपनी कार्रवाई शुरू की और शाम करीब छह बजे तक महुआ के मंगरू चौक के समीप स्थित आलोक मेहता के कोल्ड स्टोरेज और बैंक तथा हाजीपुर में बैंक और औद्योगिक क्षेत्र स्थित कोल्ड स्टोरेज पर ईडी की टीम करीब आठ घंटे तक कागजातों को खंगालती रही. शाम करीब छह बजे ईडी की टीम वापस लौट गयी. यह पूरा मामला दी वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में हुए करीब 85 करोड़ रुपये के घपलेबाजी से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. पूर्व मंत्री के यहां ईडी की छापेमारी को लेकर शुक्रवार को दिन भर चर्चा का बाजार गर्म रहा. शुक्रवार को ईडी की टीम करीब आठ घंटे तक बैंक में हुए घपले से जुड़े कागजात व सबूतों की तलाश में जुटी रही.
मालूम हो कि करीब साढ़े तीन दशक पहले पूर्व मंत्री आलोक मेहता के पिता पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता ने दी वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की स्थापना की थी. पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता सहकारिता के बड़े नेता माने जाते थे. वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटि बैंक लिमिटेड हाजीपुर को 1997 में बिहार सहकारी समिति अधिनियम, 1949 के तहत एक सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत किया गया था. इसे जून, 1997 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वैशाली जिले में एक प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक के रूप में बैंकिंग व्यवसाय करने का लाइसेंस दिया गया था. बैंक ने एक जुलाई, 1997 को परिचालन शुरू किया था. वर्ष 2019 में पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता का निधन हो गया था. आलोक मेहता 1995 से 1012 तक बैंक का चेयरमैन भी रह चुके हैं.2023 में सामने आया था घपलेबाजी का मामला
दी वैशाली शहरी विकास कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के पास करीब 24 हजार ग्राहक हैं. नवंबर 2023 में बैंक में घपलेबाजी के मामले का खुलासा हुआ था. इसके बाद ग्राहकों ने काफी हंगामा भी किया था. इस मामले में बैंक के महाप्रबंधक लेखा सह सूचना प्रौद्योगिकी के पद पर कार्यरत मो शहबाज आलम ने इस मामले की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी एवं यूपी के बलिया निवासी विपिन तिवारी, अध्यक्ष एवं हाजीपुर निवासी संजीव कुमार आदि पर ऋण प्रदान करने में अनावश्यक परिवर्तन करने का आरोप लगाया था. उनलोगों की मिलीभगत से 383 ऋण खातों के माध्यम से 79.02 करोड़ रुपये का गबन किया गया. इसके अलावा 4.48 करोड़ रुपये का गबन शाखा के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों से करवाया गया. ये सभी कर्ज फर्जी और गलत कागजात पर दिये गये थे. इसके बाद आरबीआई ने बैंक के लेनदेन पर रोक लगा दी थी. वहीं बीते 27 दिसंबर को आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया था.
बैंक में गड़बड़ी की शिकायत पर तुलसी दास मेहता ने छोड़ दिया था पद
बताया जाता है कि वर्ष 2012 में आलोक मेहता के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद उनके पिता पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता फिर से अध्यक्ष बने थे. बैंक के कारोबार में मिल रही गड़बड़ी की शिकायतों के बाद वर्ष 2015 में उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ दिया था. उसके बाद संजीव कुमार ने अध्यक्ष का पद संभाला था.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है