Rahul Dravid: भारतीय क्रिकेट में एक ऐसी धुरी, जिनके क्रीज पर आ जाने के बाद क्रिकेट प्रशंसक यह मान लेते थे कि अब भारत विकेट नहीं गंवाएगा. उनका विकेट लेने के लिए गेंदबाजों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. ‘द वाल’ नाम से फेमस राहुल द्रविड़ का जलवा कुछ ऐसा ही था. 11 जनवरी 1973 को मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मे राहुल द्रविड़ आज अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने क्रिकेट जगत में धैर्य, लचीलापन और विनम्रता को एक नया मुकाम दिया. रिकॉर्ड तोड़ने वाली उपलब्धियों से लेकर भविष्य के क्रिकेट सितारों को प्रशिक्षित करने तक, द्रविड़ की यात्रा ने भारतीय और वैश्विक क्रिकेट पर एक अमिट छाप छोड़ी है. आज उनके जन्मदिन पर हम आपको राहुल द्रविड़ के बारे में वे पांच बातें जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती हैं.
1. द वाल राहुल द्रविड़
क्रिकेट में उनकी लंबी अवधि बेमिसाल है, उनका करियर लगभग दो दशकों तक फैला हुआ है. 1996 में श्रीलंका के खिलाफ अप्रैल में एकदिवसीय मुकाबले के साथ उन्होंने अपना इंटरनेशनल क्रिकेट डेब्यू किया. उसी साल जून महीने में द्रविड़ को टेस्ट क्रिकेट में भी डेब्यू का मौका मिला. उन्हें द वाल का खिताब तब मिला जब वे टेस्ट क्रिकेट में 31,258 गेंदों का सामना करते हुए उन्होंने यह भी शानदार उपलब्धि हासिल की. वह इस खेल के सर्वश्रेष्ठ मैराथन खिलाड़ी बन गए. राहुल द्रविड़ को “द वॉल” उपनाम दिया गया था. नीमा नामचू और नितिन बेरी एक विज्ञापन एजेंसी में काम करते थे. यह उपनाम उन्हें 1996-97 में एक कंपनी के विज्ञापन बनाने के दौरान दिया गया था.
2. धैर्य की परिभाषा
द्रविड़ की रक्षा केवल गेंदों को रोकने के बारे में नहीं थी. यह एक मनोवैज्ञानिक किला था जो गेंदबाजों को निराश करता था और उनके धैर्य की परीक्षा लेता था. उन्होंने साबित कर दिया कि क्रिकेट केवल दिखावे के बारे में नहीं है, बल्कि धैर्य और दृढ़ संकल्प के बारे में भी है. टी-20 क्रिकेट के युग में द्रविड़ ने धैर्य की खूबसूरती को सभी को याद दिलाया. क्रीज पर घंटों टिके रहने और बिना थके पारी को संवारने के लिए कितनी एकाग्रता और धीरज की जरूरत होती होगी. द्रविड़ की लगातार ऐसा करने की क्षमता ने ही उन्हें भारतीय टेस्ट टीम की रीढ़ बनाया. राहुल द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में कुल 164 मैच खेल, जिसकी 286 पारियों में 52.31 के औसत से 13288 रन बनाए. द्रविड़ ने इस दौरान 36 शतक और 63 फिफ्टी भी पूरी कीं. इतना ही उनके नाम पर 5 डबल सेंचुरी भी हैं.
3. सबसे सेक्सी खिलाड़ी
द्रविड़ को 2005 में भारत के सबसे सेक्सी खिलाड़ी का खिताब दिया गया था. उन्हें काफी समय तक इसका पता नहीं था. एक इंटरव्यू में गौरव कपूर ने उन्हें बताया तो वे खुद भी हैरान रह गए थे. सबसे खास बात थी कि उन्होंने उस साल युवराज सिंह को हराया था, इस पर द्रविड़ ने कहा कि वे सब कुछ छोड़ देंगे और केवल इस बात को याद रखेंगे कि उन्होंने युवराज सिंह को हराया था.
4. नो डक ज़ोन
लगातार 120 वनडे पारियों में शून्य पर आउट होना द्रविड़ की निरंतरता और दबाव में खुद को ढालने की क्षमता को दर्शाता है. गेंदबाज अगर उन्हें 0 पर आउट कर लेते थे, तो वह उनकी दिन की सबसे बड़ी उपलब्धि बन जाती थी. द्रविड़ ने 344 एकदिवसीय मुकाबलों में शिरकत की. जिसमें 318 पारियों में उन्होंने 39.17 के औसत से 10889 रन बनाए. इस दौरान उन्होंने 12 शतक और 83 अर्धशतक भी बनाए.
5. रिकॉर्ड सेटर राहुल द्रविड़
राहुल द्रविड़ के नाम पर कई रिकॉर्ड हैं. उनके अनगिनत रिकॉर्ड – चाहे वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक गेंदों का सामना करना हो या टेस्ट खेलने वाले प्रत्येक देश के खिलाफ शतक बनाना हो – क्रिकेट के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में उनकी जगह को मजबूत करते हैं. उन्होंने विश्व के हर कोने में शतक बनाए. SENA देश हों या एशिया हर जगह उनका बल्ला बोला. वे दूसरे ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने टेस्ट और वनडे क्रिकेट दोनों में 10000 से ज्यादा रन बनाए हैं. इसके साथ ही उनके नाम पर सबसे ज्यादा कैच लेने का रिकॉर्ड भी है. उन्होंने 164 टेस्ट मैचों में 210 कैच तो ओडीआई में 344 मैचों में 196 कैच पकड़े. वे विकेटकीपर के रूप में भी काफी सफल रहे. वे पहले कप्तान रहे, जिनकी अगुवाई में भारत ने द. अफ्रीका में पहली बार कोई टेस्ट मैच जीता था.
उनके कुछ रिकॉर्ड इस तरह हैं
द्रविड़ टेस्ट क्रिकेट में चौथे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं. टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन की साझेदारी का रिकार्ड द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर के नाम है. द्रविड़ अपने टेस्ट करियर में कभी भी गोल्डन डक पर आउट नहीं हुए. द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट इतिहास में सबसे अधिक गेंदों का सामना किया. द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट इतिहास में क्रीज पर सबसे अधिक समय बिताया.
6. कोचिंग के जादूगर
2012 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद द्रविड़ काफी समय तक आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स टीम के कोच रहे. इसके बाद वे भारतीय अंडर-19 टीम के हेड कोच बनाए गए. 2016 में उनकी कोचिंग में ही भारतीय टीम फाइनल में पहुंची और2018 में पृथ्वी शॉ की अगुवाई में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर विश्वकप जीता. इसके बाद द्रविड़ राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी के हेड बनाए गए, जहां उन्होंने कई खिलाड़ियों को तैयार किया. उनकी अद्भुत क्षमता को देखते हुए 2021 में उन्हें भारतीय सीनियर टीम का हेड कोच बनाया गया. 2024 में टीम इंडिया ने 17 साल बाद वेस्टइंडीज में टी20 वर्ल्ड कप जीतकर उनकी प्रतिभा का सही रूप दिखाया. इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अब एक बार फिर द्रविड़ आईपीएल 2025 में अपनी राजस्थान रॉयल्स टीम के साथ हेड कोच के रूप में जुड़ गए हैं.
7. द जेंटलमैन्स जेंटलमैन
द्रविड़ की खेल भावना एक मिसाल है. एक यादगार पल वह था जब अंपायर द्वारा आउट न दिए जाने के बावजूद वे मैदान से बाहर चले गए थे, जिससे उनकी निष्पक्ष खेल के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का पता चलता है. उनकी उदारता मैदान के बाहर भी फैली हुई थी. चाहे केविन पीटरसन को स्पिन खेलना सिखाना हो या उभरते क्रिकेटरों के साथ अपने अनुभव साझा करना हो, द्रविड़ ने एक सच्चे सज्जन व्यक्ति होने का सार प्रस्तुत किया. द्रविड़ का खिलाड़ी से कोच बनना उनके खेलने के तरीके की तरह ही सहज और सरल था. बिना किसी दिखावे के, उन्होंने मेंटर की भूमिका निभाई और भारत के क्रिकेट ढांचे में क्रांति ला दी, राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी को प्रतिभा विकास का केंद्र बना दिया.
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