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Exclusive: झारखंड में वैदिक मंत्र सीख रहे आदिवासी बच्चे, शिष्टाचार की शिक्षा दे रहे जम्मू वाले बाबा

Jharkhand News: झारखंड में आदिवासी बच्चे वैदिक मंत्र सीख रहे हैं. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले ये बच्चे हर दिन शाम को वैदिक पाठशाला जाते हैं. वहां वेदों का ज्ञान हासिल करते हैं और शिष्टाचार की भी शिक्षा लेते हैं. जम्मू वाले बाबा इनको मंत्र सिखाते हैं.

Jharkhand News: जमशेदपुर, निखिल सिन्हा : पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा में एक गांव है- कुलटांड़. प्रकृति की गोद में बसे आदिवासी बहुल इस गांव में हो, मुंडा और संताल जनजाति के 28 परिवार रहते हैं. गांव के बच्चे सरकारी स्कूलों में आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ शाम में वैदिक शिक्षा भी ले रहे हैं. अंग्रेजी, गणित और विज्ञान के साथ वेदों की पढ़ाई कर रहे हैं. इसके लिए करीब 2 वर्ष पहले गांव के शिवशक्ति पंचमुखी हनुमान मंदिर में वैदिक पाठशाला की स्थापना की गयी. यहां के बच्चे फर्राटे से संस्कृत में यजुर्वेद और ऋग्वेद के श्लोक बोलते हैं. इन्हें गीता-रामायण के दर्जनों श्लोक कंठस्थ हैं.

दिन में सरकारी स्कूल, शाम में वैदिक पाठशाला जाते हैं बच्चे

हो, मुंडारी और संताली भाषा में बात करने वाले इन बच्चों का संस्कृत में मंत्रोच्चार सुनकर आप मंत्रमुग्ध हो जायेंगे. गांव के बच्चे हर दिन सुबह सरकारी स्कूल जाते हैं और शाम में शिवशक्ति पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर स्थित वैदिक पाठशाला में वेदों की पढ़ाई करते हैं. साथ में भजन-कीर्तन भी करते हैं.

वैदिक पाठशाला में वेद और शिष्टाचार की दी जाती है शिक्षा

वर्तमान में इस पाठशाला में कुल 45 बच्चे आते हैं. हर दिन शाम 5 से 7 बजे तक बच्चों को वेद के साथ शिष्टाचार की शिक्षा दी जाती है. बच्चों को संस्कृत में यजुर्वेद और ऋग्वेद के श्लोक कंठस्थ कराये जाते हैं. बच्चों को सामाजिक कर्तव्य के बारे में भी बताया जाता है. वैदिक पाठशाला की कोशिश है कि यहां पढ़ने वाले बच्चे व्यवहारकुशल हों. उन्हें भी वेद का ज्ञान हो.

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इसी मंदिर में चलती है वैदिक पाठशाला. फोटो : प्रभात खबर

संस्कृत और भोजपुरी में भजन-आरती

वैदिक पाठशाला में बच्चे भगवान की आरती संस्कृत और भोजपुरी में भी करते हैं. भोजपुरी भजन भी गाते हैं. उन्हें मंत्रों का महत्व बताया जाता है. बच्चों को बैठने, बोलने और अतिथियों के स्वागत करने के संस्कार भी सिखाए जाते हैं.

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रविवार को बच्चे गांवों में निकालते हैं प्रभात फेरी

इस गांव के बच्चे हर रविवार को अलग-अलग गांवों में प्रभात फेरी निकालते हैं. इस दौरान वे गांव-गांव जाकर लोगों को गीता के श्लोक और भजन सुनाते हैं. वेद के बारे में जानकारी देते हैं. गांव के बच्चों से अपील करते हैं कि वे पाठशाला में आकर वेद का ज्ञान लें.

नशा से दूर रहने का देते है संदेश

पाठशाला के बच्चे गांव के लोगों को नशा से दूर रहने का भी संदेश देते हैं. नशा से होने वाली बीमारियों और नुकसान के बारे बताते हैं. इसका असर भी दिखने लगा है. पहले की तुलना में गांवों में नशा करने वालों की संख्या में कमी आयी है.

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बच्चों को अपनी परंपरा के बारे में बताना उद्देश्य

वैदिक पाठशाला का संचालन करने वाले मानस सत्संग समिति के संयोजक यज्ञाधीश जम्मू वाले बाबा ने बताया कि गांव के बच्चे जैसे-तैसे पढ़ाई करते थे. उनका जीवन भी कुछ अजीबो-गरीब था. गांव के रामनाथ सिंह ने उनसे संपर्क किया और गांव में वैदिक पाठशाला खोलने तथा बच्चों को शिक्षा देने का आग्रह किया. उनकी बातों से प्रेरित होकर वे एक दिन कुलटांड़ गांव पहुंचे. उन्होंने गांव का भ्रमण किया. बच्चों के आचरण को देखा और फिर उसके बाद गांव के ही मंदिर में वैदिक पाठशाला खोलने की योजना बनायी.

जम्मू वाले बाबा बोले- बच्चों में वेद के ज्ञान का संचार ही उद्देश्य

जम्मू वाले बाबा ने बताया कि उनका उद्देश्य गांव के बच्चों में वेद के ज्ञान का संचार करना है. बच्चों को शिष्टाचार का ज्ञान देना है. आधुनिक शिक्षा में संस्कार और संस्कृति काफी दूर चली गयी है. इसे फिर से स्थापित करने के लिए वैदिक पाठशाला में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. इसके अलावा देशभक्ति और गौ सेवा के बारे में भी बताया जाता है.

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