पूर्णिया. मकर संक्रांति में अब महज दो दिन शेष बचे हैं पर शहर में चूड़ा दही के साथ तिलकुट का दौर अभी से शुरू हो गया है. खास तौर पर स्वाद और सुगंध के धनी भागलपुर का कतरनी चूड़ा के साथ मालदा का मालभोग चूड़ा और गया के तिलकुट की खुशबू लोगों को लुभा रही है. चीनी का नाम नहीं है पर गुड़ अपनी अलग खुशबू बिखेर रही है. मकर संक्रांति में इस बार लोकल चूड़ा की पूछ कम हो गई है. दुकानों में आने वाला 90 फीसदी ग्राहक कतरनी चूड़ा की मांग कर रहा है. हालांकि यह चूड़ा मंडियों में थोक रुप से भी उपलब्ध है पर तिलकुट बेचने वाले खास तौर पर कतरनी चूड़ा का पैकेट बना कर बेच रहे हैं. हाफ किलो से लेकर दो किलो तक का चूड़ा पैकेट तिलकुट की दुकानों पर सहज रुप से मिल जा रहा है. दरअसल, भागलपुर के कतरनी धान से तैयार किया गया चूड़ा अपनी खुशबू के लिए हर घर की पसंद बना हुआ है. यही हाल पश्चिम बंगाल के मालदा का मालभोग चूड़ा का भी है जो स्वाद के साथ सुगंध के लिए भी जाना जाता है. सामान्य दिनों में इनकी मांग नहीं होती है पर पिछले कुछ सालों से चूड़ा की दोनों वेराइटी का डिमांड काफी बढ़ गया है. यही वजह है कि दुकानदार ग्राहकों के लिए तिलकुट के साथ पसंदीदा चूड़ा की वेराइटी भी रख रहे हैं. कतरनी व मालभोग चूड़ा के साथ गया का तिलकुट भी ग्राहकों की खास पसंद है. गया में बनाये जाने वाले तिलकुट का खास्तापन और इसका अलग स्वाद ग्राहकों को खूब आकर्षित कर रहा है. गया के तिलकुट की खासियत है कि यह काफी खास्ता होता है. इसे देखते ही सामने वाले के मुंह में पानी आ जाता है. यही वजह है कि यहां के तिलकुट की डिमांड काफी होती है. कई ग्राहकों ने बताया कि गया के तिलकुट का स्वाद और खास्तापन कहीं और नहीं मिल पाता है. यहां एक दर्जन से अधिक दुकानें हैं जहां खास तौर पर गया का तिलकुट लाकर बेचा जा रहा है. ——————————- फोटो- 11 पूर्णिया 5 कैप्सन- बाजार में तिलकुट बेचता दुकानदार
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