मुंगेर. अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से शनिवार को शादीपुर में हिंदी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसकी अध्यक्षता साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय ने की. उन्होंने कहा कि महाकवि जयशंकर प्रसाद ने भारतवर्ष को प्रथम हिंदी शब्दकोष दिया. जिसकी तैयारी में शिवपूजन सहाय उनके सहायक थे. हिंदी को विश्वस्तर पर लोकप्रिय बनाने में पांच दशक पूर्व अमेरिका में संपन्न विश्व रामायण सम्मेलन, हिंदी फिल्मों के गीत, विवेकानंद और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों का भी योगदान रहा है. मुख्य वक्ता बीआरएम कॉलेज के शिक्षक डॉ अभय कुमार ने कहा कि हिंदी की बुनियादी स्वरूप भारत की 18 बोलियों को मिलाकर बनी है. देवभाषा संस्कृत का इसमें बड़ा योगदान है. मनुष्य पहले भाषिक प्राणी है. इसके बाद सामाजिक प्राणी है. नागपुर सहित दक्षिण भारत का एक बड़ा भाग नागलोक के राजा का प्राचीन काल में था. डा. चंदन कुमार ने कहा कि हिंदी की विश्व स्तर पर स्वीकार्यता को उसे पवित्र प्रवहमान नदी की तरह है. जिसमें कई देश की शब्दाबली छोटी-छोटी नदियों के रूप में समा गयी है. प्रधानाध्यापक अलख निरंजन कुशवाहा ने कहा कि बाधाओं के बांधों को तोड़कर हिंदी के आत्मनिर्भर राजभाषा बनना गर्व की बात है. महासचिव प्रमोद निराला ने क्षेत्रीय भाषा में अंगिका का महत्व बताते हुये गीत सुनाया. विजय वर्तानिया ने भी हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए कविता सुनायी. मौके पर विभाष चंद्र मिश्रा, इकबाल अहमद, तृषिका वर्मा, अवनीश मिश्रा, राजन कुमार आदि मौजूद थे.
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