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साइबर फ्रॉड. ऑनलाइन गेम के दौरान जीत के रुपये ट्रांसफर करने को मांगे जाते हैं बैंक डिटेल्स

विकास कुमार गुप्ता, कोलकाता

सोशल मीडिया के इस दौर में विभिन्न सोशल साइटों के अलावा टीवी पर भी एक से बढ़ कर एक ऑनलाइन गेम्स के विज्ञापन देखने को मिल जाते हैं. इन विज्ञापनों में ऑनलाइन गेम्स खेलने पर रातों-रात लखपति से लेकर करोड़पति तक बनने का सपना दिखाया जाता है.

इसी लालच में कई लोग इन गेम्स के एप को मोबाइल में डाउनलोड कर उसे खेलते हुए रातों-रात करोड़पति बनने का सपना देखने लगते हैं. इनमें से कुछ गेम ऐसे होते हैं, जिहमें कुछ निवेश करना पड़ता है. हालांकि ज्यादातर गेम्स ऐसे हैं, जिनमें बिना निवेश के ही मोटी रकम मिलने का लालच दिया जाता है.

जीते रुपये भेजने के लिए मांगे जाते हैं बैंक अकाउंट नंबर : कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कुछ बड़ी ऑनलाइन गेम्स कंपनियां इस तरह की धोखेबाजी नहीं करती हैं. लेकिन उनके नाम से मिलते जुलते नाम से साइबर जालसाज कुछ ऐसे गेमिंग एप बना रखे हैं, जिनके जरिये वे धोखाधड़ी करते हैं. वे गेम्स खेलने वालों तक जीती गयी राशि पहुंचाने के लिए उनका बैंक अकाउंट नंबर मांगते हैं. इधर, मोटी रकम मिलने के लालच में अकाउंट नंबर देने वाले उनके द्वारा बिछाये गये जाल के पहले पड़ाव में पैर दे चुके होते हैं.

जीती गयी राशि के नाम पर भेजे जाते हैं धोखाधड़ी से मिले रुपये

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन गेम खेलने वाला जब कोई रकम जीतता है, तो उसे जीती गयी राशि के मुकाबले काफी ज्यादा रकम उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है. इसके बाद सीधे उनसे संपर्क कर कहा जाता है कि सर्वर की समस्या के कारण ज्यादा राशि ट्रांसफर हो गयी, कृपया अतिरिक्त रुपये को दिये गये अकाउंट नंबर पर भेज दें. जब विजेता शेष राशि को अन्य अकाउंट में भेजता है, तो वह अकाउंट भी किसी गेम खेलने वाले का ही होता है. उसे भी यही बात कही जाती है. इस तरह से चेन सिस्टम से कुछ अकाउंट से ट्रांसफर करने के बाद साइबर ठग इस राशि को किसी एक ऑनलाइन गेमर से संपर्क कर उनकी एटीएम से नकद निकाल लेते हैं या फिर परिचित किसी के अकाउंट में मंगवा कर उस राशि को निकाल लेते हैं.

डिजिटल अरेस्ट, मोबाइल फ्रॉड, फर्जी बिजली बिल से मिली राशि का इन अकाउंट में होता है ट्रांसफर

कोलकाता पुलिस के पूर्व अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) मुरलीधर शर्मा का कहना है कि जांच में पाया गया है कि कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिनमें डिजिटल अरेस्ट, मोबाइल धोखाधड़ी व बिजली बिल बकाया होने के नाम पर लोगों के पास जो फोन आता है. इस झांसे में फंस कर रुपये गंवाने वाले लोगों से मिली रकम का एक बड़ा हिस्सा, साइबर ठग इन राशि को उनके द्वारा बनाये गये गेमिंग एप में विजेता खिलाड़ियों के अकाउंट में भेजा जाता है. इसके बाद कुछ अकाउंट से होकर वे नकदी रुपये निकलवा लेते हैं, या फिर ऑनलाइन सोना या अन्य कीमती सामान खरीद कर इन रुपये को अकाउंट से खत्म करते हैं.

जांच शुरू होने पर इन युवाओं तक पहुंचती थी पुलिस

अधिकारी बताते हैं कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी को लेकर विभिन्न थानों में दर्ज मामलों की जांच करने पर पता चला कि ठगी की राशि का ट्रांसफर कुछ ऐसे बैंक अकाउंट में किया गया है, जिनके अकाउंट होल्डर को ऑनलाइन गेमिंग की लत थी. महज कुछ रकम गेमिंग एप में जीतने का प्रलोभन देकर इनके बैंक अकाउंट में ठगी की राशि को ट्रांसफर किया जा रहा था. पुलिस की जांच के दौरान कुछ ऐसे युवक भी मिले, जिन्होंने एक बार गेम खेला. इसके बाद अपने अकाउंट को कमीशन पर इन ठगों को दे दिया. इसमें ठगी की राशि आने पर कमीशन लेकर वे ठगों को नकदी राशि पहुंचाते पाये गये. अबतक कई मामलों में कई ऐसे युवक गिरफ्तार हो चुके हैं, जो अनजाने में ही इन साइबर ठगों के जाल में फंसकर अपराधी बन गये.

क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट

जाने-माने साइबर एक्सपर्ट दीपक कुमार का कहना है कि अगर लोग इन बातों पर ध्यान दें, तो वह सुरक्षित और सेफ रह सकते हैं

जिन्हें आप निजी तौर पर नहीं जानते हों, उनसे अपना बैंक अकाउंट साझा न करें

अपने मोबाइल फोन पर किसी भी तरह का ऑनलाइन गेमिंग एप लोड न करें

अगर आप अनजाने में इस तरह की गलती कर बैठे हैं, तो तुरंत सतर्क हो जायें और नजदीकी थाने में जाकर इस बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करें

अभिभावक हमेशा बच्चों के मोबाइल फोन पर ध्यान दें कि क्या उन्होंने अपने मोबाइल फोन में कोई गेमिंग एप तो नहीं लोड किया है

अगर आपके बैंक खाते में अनजाने में कोई अनचाही बड़ी राशि का ट्रांजेक्शन हो गया है, तो तुरंत नजदीकी थाने को इस बारे में जानकारी दें. ऐसा करके आप खुद को सुरक्षित व अपराध मुक्त रख सकते हैं.

अगर आपके बैंक खाते में कहीं से अचानक किसी के द्वारा मोटी रकम जमा करायी गयी है, जिसके बारे में आपको पता नहीं, तो वह ठगी के रुपया हो सकता है. तुरंत अपने बैंक या फिर नजदीकी थाने में इसकी जानकारी दें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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