हाजीपुर . जिले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने एवं रोजगार से जोड़ने के लिए पशुपालन विभाग सूकर पालन के लिए बढ़ावा दे रही है. सुकर विकास योजना के तहत पशुपालन विभाग के द्वारा इच्छुक लाभुकों को अनुदानित दर पर अच्छी प्रजाति के सुकर उपलब्ध कराने का प्रावधान है. योजना का लाभ लेने के लिए एससी, एसटी वर्ग के इच्छुक लाभार्थी से ऑफलाइन आवेदन मंगाया जा रहा है. इसके लिए जिले के सभी प्रखंड स्थित पशु चिकित्सा अस्पतालों में आवेदन मंगाया जा रहा है. आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 जनवरी निर्धारित है.
इस संबंध में जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ प्रभावती कुमारी ने बताया कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में एसटी वर्ग के लोगों के लिए सरकार एवं पशुपालन विभाग सुकर विकास योजना चला रही है. योजना के तहत इच्छुक लोगों को सूकर पालन का व्यवसाय करने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से 90 प्रतिशत अनुदान पर सुकर उपलब्ध कराया जाता है. जिला सहायक कुक्कुट पदाधिकारी डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि एक युनिट में दो मादा तथा एक नर सूकर उपलब्ध कराया जाता है. इसके लिए सरकार की ओर से 21060 रुपये के सुकर लाभुक को मात्र 2160 रुपये में उपलब्ध करायी जाती है.योजना का लाभ लेने के लिए करना होगा ऑफलाइन आवेदनसहायक जिला कुक्कुट पदाधिकारी ने बताया कि सुकर विकास योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक लाभार्थी को अपने प्रखंड में ही पशु चिकित्सा अस्पताल में बने काउंटर से फार्म प्राप्त कर आवेदन कर सकते है. प्राप्त आवेदन की जांच करने के बाद उसके रख-रखाव एवं सुकर पालन को लेकर लाभुक को प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण देने के बाद लाभुक को अच्छी नस्ल की सुकर उपलब्ध करायी जाती है. बताया गया कि सुकर पालन के एक युनिट से एक साल में एक लाभुक कम से कम तीन से चार लाख रुपये कमा सकते है. इस योजना में लाभुक को सबसे अधिक लाभ सुकर के बच्चे बेचने में होते है. 340 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बच्चे की बिक्री होती है.
अन्य राज्यों में है सुकर की काफी डिमांड
बताया गया कि सुकर पालन काफी फायदेमंद व्यवसाय है. मणीपुर, सिक्कम, गुवाहाटी आदि शहरों में सुकर का काफी डिमांड है. यहां के एससी एसटी वर्ग के लोग इसका पालन कर अपनी आर्थिक मजबूती के साथ समृद्ध हो सकते है. जिले में सुकर पालन को लेकर संभावनाएं है. यहां का कलाइमेट भी सुकर पालन के अनुकूल है. इसके कारण एक साल में ही एक सुकर लगभग एक क्विंटल से अधिक वजन का हो जाता है. जिससे यहां के सुकर पालक को अधिक आमदनी होती है. इसके साथ ही सुकर के बच्चाें का डिमांड अधिक होने के कारण किसान काफी कम समय में अपनी आय दुगुना कर सकते है. जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि जिले में सुकर पालन के लिए 87 किसानाें को योजना का लाभ देने का लक्ष्य निर्धारित है. जिसमें 80 एससी कैटेगरी के लाभुक तथा 7 एसटी कैटेगरी के लाभुक को योजना का लाभ दिया जाना है. बताया गया कि जिले के विभिन्न प्रखंडों से कुल 27 आवेदकों ने इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है. आवेदन के उपरांत ट्रेनिंग दी जानी है. ट्रेनिंग लेने वाले आवेदक को तीन सौ रुपये दैनिक भत्ता भी दिये जाने का प्रावधान है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है