विभाग के अनुसार कुछ नर्सिंग होम छोड़ अन्य नर्सिंग होम व पैथोलॉजी लैब अवैध रूप से संचालित सहरसा . नर्सिंग होम, क्लीनिक, पैथोलॉजी सेंटरों के जांच का मुद्दा पिछले पांच वर्षों से चर्चा में है. यदि स्वस्थ्य महकमे की मानें तो कुछ नर्सिंग होम, क्लीनिक को छोड़कर अन्य नर्सिंग होम व सभी पैथोलॉजी लैब अवैध रूप से संचालित है. वैध और अवैध पैथोलॉजी, नर्सिंग होम की जांच और निबंधन के लिए डॉक्टर व पैथोलॉजी सेंटर के संचालकों ने जिला मुख्यालय के सिविल सर्जन ऑफिस में आवेदन देकर निबंधन की अनुमति मांगी थी, साथ ही संचालकों ने बेहतर संचालन के लिए औपबंधिक प्रमाण पत्र की भी मांग की थी. मालूम हो कि इन आवेदनकर्ताओं में एक दर्जन से भी कम नर्सिंग होम संचालकों को औपबंधिक संचालन की अनुमति मिली, लेकिन एक भी पैथोलॉजी को अनुमति नहीं मिली. यदि इसे सीधे व सपाट शब्दों में कहा जाये तो एक भी पैथोलॉजी मानक के अनुरूप व अनुमति प्राप्त वैध जांच घर अथवा सेंटर सहरसा जिला मुख्यालय में नहीं है. बेशक उन्होंने विभाग में सभी शर्तों को पूरा करते हुए आवेदन देकर प्रमाण पत्र की मांग की थी. लेकिन विभाग ने ड्राफ्ट के रूप में जमा फीस की राशि को बैंकों में भेज दिया और उसके बाद मौन धारण कर लिया है. ताज्जुब की बात यह है कि इस संदर्भ में एक नया कार्यालय आदेश सिविल सर्जन कार्यालय से जारी किया है. इस पत्रांक के अनुसार सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को जिला अधिकारी द्वारा पूर्व में दिए गये आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि जिले में विभागीय प्रावधानों के विरुद्ध अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम, क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर, लैबोरेट्री, जांच घर आदि की जांच की जाये और विधि संवत कार्रवाई की जाये. मालूम हो कि जिले भर से लगभग 17 से अधिक पैथोलॉजी सेंटरों ने विगत वर्षों में आवेदन किया था और मानकों का हवाला देते हुए आवेदन के साथ सभी संबंधित सर्टिफिकेट और ड्राफ्ट फीस के रूप में जो राशि मांग की गयी थी, उसका ड्राफ्ट साथ ही जमा भी किया गया. फिर भी विभाग ने कुछ भी काम इस दिशा में नहीं किया और टालमटोल का रवैया अपनाया. सभी आवेदन विभाग में हस्तगत होने के बावजूद भी कोई आश्वासन लिखित या मौखिक रूप से इन पैथोलॉजी संचालकों को नहीं दिया गया. जारी नये पत्र के अनुसार जांच के क्रम में संचालकों से अपेक्षित सहयोग प्राप्त नहीं होने पर कार्रवाई करने की बात भी कही गयी है. विगत दिनों नंद पैथोलॉजी, अपोलो डायग्नोसिस, हिंदुस्तान पैथलैब, कोसी जांच घर, माइक्रोलैब, क्लासिक लैब, लाइफ लाइन डायग्नोस्टिक, सहारा डायग्नोस्टिक, पार्वती पैथोलॉजी, वर्षा पैथोलॉजी, लाइफ लाइन लैब, जीवन सहारा, निदान, कुमार पैथोलॉजी, रॉयल डायग्नोस्टिक सेंटर समेत अन्य ने अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग पूर्व में की थी, जो अब तक लंबित है. गौरतलब बात यह है कि कॉर्पोरेट जांच घर जिसमें डॉक्टर लाल समेत बड़े लैबोरेट्री संचालक भी आते हैं, उन्हें भी अभी तक सहरसा में अनुमति प्राप्त नहीं हो पायी है. जबकि इनका कामकाज आरंभ हो गया है. उधर छोटे लैब संचालक इसे विभागीय भयादोहन की कार्रवाई मानते हैं. कुछ नर्सिंग होम के निबंधन की प्रक्रिया पूरी हो गयी है. इन्हें रजिस्ट्रेशन नंबर भी दे दिया गया है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी निबंधन व जांच की प्रक्रिया के लिए पत्र भेजा गया है, शीघ्र ही इस दिशा में समुचित कार्रवाई की जायेगी . डॉ कात्यायनी कुमार मिश्रा, सिविल सर्जन
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