जामताड़ा. जिले में एक महीने तक चलने वाला टुसू पर्व मंगलवार को विसर्जन के साथ ही समापन हो गया. आमलाचातर, आसनचुवां, कालाझरिया, बरजोड़ा, कटंकी, चिहुंटिया, निमबेडा आदि कुड़मी जनजाति बहुल गावों में यह पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है. प्रतिदिन संध्या समय टुसू मणि की फूल और प्रसाद चढाकर आराधना की जाती है और गीत गायी जाती है. सभी बच्चियां मिलजुल कर संध्या में आरती और टुसू की मार्मिक गीत गाती हैं. यह विशेष कर कुड़मी जनजाति का पर्व है. यह झारखंड पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुड़मी बहुल गांवों में मनाया जाता है. पूस संक्रांति के दिन सभी टुसू को एक सुंदर पालकी में सजाकर नाचते गाते हुए उसे नदी में नम आंखों से विदाई देते हैं. इस अवसर पर समाजसेवी रामचंद्र महतो ने कहा कि यह पर्व कुड़मी जनजाति की विशिष्ट पहचान है. टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के उपाध्यक्ष अशोक कुमार महतो ने बताया कि टुसू पर्व का झारखंड में एक विशिष्ट पहचान है.
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