रांची. तलाकशुदा महिलाओं के प्रति समाज के नजरिये, महिला के जीवन की चुनौतियों, जिंदगी को आगे बढ़ाने की राह में आती मुश्किलों, उतार-चढ़ाव और जद्दोजहद जैसे हालातों को सैयारा अली ने जीवंत कर दिया. रांची जिमखाना क्लब में मंगलवार को अभिनेत्री, लेखक सह रंगमंच निर्देशक जूही बब्बर सोनी ने एकजुट थिएटर ग्रुप की ओर से नाटक ”विद लव आप की सैयारा” का मंचन किया. एकल नाटक में जूही ने करीब 110 मिनट तक दर्शकों को कुर्सी से बांधे रखा. अपनी भाव-भंगिमा से आधुनिक दौर की महिला के जीवन के लम्हों से सजे पन्नों को पलटा.
जीवन के कई पहलुओं से कराया अवगत
सैयारा ने एक ओर जहां अपने माता-पिता की बात नहीं सुनने पर जीवन में आने वाली कठिनाइयों से रू-ब-रू कराया. वहीं, माता-पिता की ओर से उनके बच्चों को मिलने वाले हौसले से अवगत कराया. साथ ही प्यार का बंधन, जो शादी की डोर खिंचता है,में एक-दूसरे के प्रति परस्पर सम्मान, विश्वास और स्नेह की भूमिका को दर्शाया. उससे प्रत्यक्ष रूप से सामना कराया.
नाटक की शुरुआत में सैयारा से कराया गया परिचय
नाटक की शुरुआत में सैयारा अली से परिचय कराया गया, जो एक बेस्ट सेलर बुक की लेखिका हैं और उनकी किताब पर प्रोडक्शन टीम वेबसीरीज बनाना चाहती है. सैयारा इसलिए परेशान हैं, क्योंकि उन्होंने किताब में अपनी दो शादी, तलाक और उससे उभरने की कहानी लिखी है. प्रोडक्शन टीम कहानी में मसाला चाहती है. पर सैयारा अपनी व्यथा को मनोरंजन के रूप में नहीं, बल्कि महिला के जीवन में एक सीख के रूप देखती हैं.
शादी खेल नहीं सम्मान और विश्वास की डोर
सैयारा ने दर्शकों से संवादमय अंदाज में अपनी दो शादी की कहानी साझा की. पहली शादी जो एक इंग्लिश के प्रो अनिल माथुर से हुई. तब सैयारा 24 वर्ष की थीं और पति उम्र में 20 वर्ष बड़े थे. माता-पिता के लाख मना करने के बाद भी सैयारा ने समाज के टैबू को तोड़ा और शादी के बंधन में बंधी.इस शादी में परेशानी तब शुरू हुई, जब उम्र में बड़े प्रोफेसर ने उन्हें अपने बच्चों की खातिर छोड़ दिया. शादी टूटने के बाद सैयारा की घर वापसी होती है और पिता उस पर अपने बिजनेस की जिम्मेदारी सौंप देते है. सैयारा सक्सेसफुल बिजनेस वीमेन बनती हैं और इस बीच उनकी मुलाकात डॉ नासीर हबीब, जो हार्ट सर्जन थे, से होती है. सैयारा एक बार फिर प्यार में पड़ती हैं, पर कुंठित पुरुषवादी सोच वाले डॉ नासीर उसे काम-काज छोड़ने और मॉडर्न कपड़े पहनने से रोकते हैं. कहानी में बताया जाता है कि एक इंडिपेंडेंट महिला के लिए प्यार कैसे घरेलू हिंसा में बदल जाता है और इस बीच विश्वास का टूटना सैयारा को वापस से तलाक की कसौटी तक पहुंचाता है.
तलाकशुदा महिला का मतलब अवेलेबल टू ऑल नहीं
दोनों ही शादी से मिली हार के बाद सैयारा जब जीवन की जद्दोजहद से गुजरती है, तब उसके सामने तलाकशुदा महिला का दंश होता है. जूही बब्बर ने इसे जीवन की वह परिस्थिति बताया, जब महिला न केवल समाज का तंज सुनती है, बल्कि मर्द तलाकशुदा को अवेलेबल टू ऑल समझ लेते हैं. उन्होंने महिला की इस परिस्थिति को सबसे निकृष्ट पल बताया. उन्होंने लड़कियों के साथ घर व दफ्तर में होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ बगावत की. अंत में सैयारा ने जीवन में अच्छे सोच वाले व्यक्ति से संपर्क बनाने, माता-पिता की बात मानने और जल्दबाजी में जीवन के प्रमुख निर्णय लेने से पहले गंभीरता से सोचने का संदेश दिया. नाटक में सहायक पात्र बिना दी के रूप में अनुष्का और हरजीत की भूमिका में अचिन्त मारवा ने सहयोग किया. इस अवसर पर प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी, प्रभात खबर के निदेशक समीर लोहिया, रिंकू लोहिया, सुमित खेमखा, पूर्व मुख्य सचिव डीके तिवारी और सीएस अलका तिवारी समेत अन्य मौजूद थे.
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