संवाददाता, कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने एक मामले की सुनवाई के दौरान रेलवे को सांतरागाछी झील से सटी जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया.
बताया जा रहा है कि काफी वर्ष पहले सांतरागाछी झील के पास की जमीन पर अवैध कब्जा कर कई दुकानें बना ली गयी थीं. इससे पहले राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने सांतरागाछी झील के समीप से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. लेकिन रेलवे अधिकारियों ने अब तक उस आदेश का पालन नहीं किया. इस बीच, वहां रहने वाले 11 लोगों ने पुनर्वास की मांग करते हुए हाइकोर्ट में मामला दायर किया.
मंगलवार को मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की अदालत में हुई. अवैध कब्जाधारियों के वकीलों का दावा है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पुनर्वास की व्यवस्था करने के बाद लोगों को यहां से हटाने का आदेश दिया था. लेकिन रेलवे बिना पुनर्वास की व्यवस्था किये लोगों को बेदखल कर रहा है. इस बयान के आलोक में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने याचिकाकर्ता के वकील से न्यायाधिकरण के आदेश की एक प्रति प्रस्तुत करने के लिए कहा, लेकिन वकील ऐसे किसी आदेश की प्रति नहीं दिखा सके. इसके बाद न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने कहा कि वहां किसी भी दुकान को खोलने की अनुमति नहीं दी जायेगी. रेलवे को झील के समीप की भूमि खाली करानी होगी. न्यायाधीश ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को पुनर्वास के मुद्दे पर न्यायाधिकरण से संपर्क करना चाहिए. हाइकोर्ट इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं करेगा.
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