मधेपुरा. छह दिन पहले अपने स्थापना के 33साल पूरा करने वाला बीएनएमयू एक बार फिर अपनी करतूतों के कारण चर्चा में है. इस बार मामला भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के वेबसाइट से जुड़ा है. विश्वविद्यालय की लापरवाह व्यवस्था की स्थिति का आलम यह है कि लगभग 15 दिन पहले केरल के राज्यपाल बनाये गये राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को बीएनएमयू आज भी बिहार का राज्यपाल सह कुलाधिपति बता रहा है, जबकि 15 दिन पहले ही आरिफ मोहम्मद खान को कुलाधिपति सह बिहार के नये राज्यपाल की कमान सौंपी गयी है और आरिफ मोहम्मद खान बतौर कुलाधिपति सह राज्यपाल राजभवन में हैं. नये राज्यपाल से मुलाकात भी कर चुके हैं कुलपति मालूम हो कि नये कुलाधिपति सह राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से बीएनएमयू कुलपति प्रो विमलेंदु शेखर झा ने कुछ दिन पूर्व ही मुलाकात किये हैं. इस दौरान विश्वविद्यालय से जुड़े मुद्दों पर चर्चा भी की है. ऐसे में लोगों में यह चर्चा है कि सिस्टम इतना स्लो कैसे है कि बिहार में राज्यपाल के बदले 15 दिन हो गये हैं, कुलपति प्रो विमलेंदु शेखर झा बधाई भी दे आये, लेकिन बीएनएमयू का वेबसाइट इससे अंजान है. कैंपस में भी राज्यपाल के रूप में राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का ही नाम मालूम हो कि बीएनएमयू के प्रशासनिक परिसर स्थित ऑडिटोरियम के मुख्य द्वार ही राज्यपाल के रूप में राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की तस्वीर युक्त बैनर लगी हुई है, जिस पर माननीय कुलाधिपति बिहार भी लिखा है. इतना ही नहीं बीएनएमयू के मुख्य द्वार पर भी राज्यपाल के रूप में राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की ही फोटो युक्त बैनर लगी है. यह सारी फोटो-बैनर बीते 18 दिसंबर को बीएनएमयू में आयोजित सीनेट की बैठक के दौरान लगायी गयी थी, जिसके लगभग एक महीने होने को है और अबतक इसे घटाया नहीं गया है. जानबुझकर बीएनएमयू को बदनाम करने की साजिश तो नहीं जानकारी के अनुसार बीएनएमयू के प्रशासनिक परिसर स्थित ऑडिटोरियम के अंदर भी मंच के ऊपर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भूपेंद्र नारायण मंडल के साथ पूर्व राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की ही फोटो लगी है. वेबसाइट के साथ-साथ कैंपस की यह स्थिति तो यही बता रही है कि बीएनएमयू से जुड़े पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर नहीं हैं. जब राज्यपाल को बदले 15 दिन हो गये हैं, तब कैंपस के पदाधिकारी व वेबसाइट संचालन टीम ने इसे अपडेट नहीं किया है. कहीं यह जानबुझकर बीएनएमयू को बदनाम करने की साजिश तो नहीं है. बीएनएमयू के शैक्षणिक माहौल एवं उपलब्धि को वेबसाइट मानने को तैयार नहीं विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर सिर्फ राज्यपाल से ही जुड़ी गलत जानकारी नहीं दी गयी बल्कि दर्जन भर ऐसी जानकारी है जो बताता है आखिर यह वेबसाइट संचालन की जिम्मेदारी किन गैर जिम्मेदार हाथों में सौंप दी गयी है. बीएनएमयू के साइंस के डीन प्रो अरुण कुमार को बदले कई दिन हो गये हैं, उनकी जगह नये चेहरों ने पदभार भी ले लिया है, लेकिन बीएनएमयू की वेबसाइट पर अभी भी पुराने डीन बने हुए हैं. सबसे दिलचस्प तो यह है कि कुलपति समेत विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी शैक्षणिक माहौल व उपलब्धि की जितनी भी चर्चा कर लें, लेकिन वेबसाइट मानने को तैयार ही नहीं है. बीएनएमयू में सबका एक ही जवाब नो रिजल्ट फाउंड बीएनएमयू में लाइब्रेरी, हॉस्टल, हेल्थ फैसिलिटीज, एनसीसी, एनएसएस, एल्युमिनी, स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एक्टिक्विटी, आरटीआइ, ओबीसी सेल, एससी-एसटी सेल, विमेन सेल, फी रिफंड जैसे मुद्दों पर जानकारी की खोज करने पर सबका एक ही जवाब आता है नो रिजल्ट फाउंड. कोई वेबसाइट से खोजना भी चाहे तो उसे तो यही लगेगा कि यहां कोई गतिविधि होती ही नहीं है.
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