प्रतिनिधि, तोरपा
अपने संघर्ष और मेहनत की बदौलत अभिजल कंडुलना मॉडलिंग की दुनिया में पैर जमा रही है. अभिजल रनिया के बैलंकेल जैसे सुदूरवर्ती गांव से निकलकर दिल्ली, मुंबई, भुवनेश्वर जैसे शहरों में मॉडलिंग से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है. अभिजल को हाल ही में भुवनेश्वर में आयोजित प्रतियोगिता में मिस ग्लोबल ट्राइबल क्वीन का खिताब मिला है. प्रतियोगिता 10 से 12 जनवरी तक भुवनेश्वर में आयोजित की गयी थी. इसमें उसे मिस ग्लोबल ट्राइबल क्वीन इंडिया व मिस ग्लोबल ट्राइबल क्वीन अर्थ का खिताब मिला. इसके पूर्व 2021 में उसे दिल्ली में आयोजित मिस नेक्सस यूनिवर्स का खिताब भी मिल चुका है.संघर्ष भरी रही है अभिजल की जिंदगी :
अभिजल की जिंदगी शुरू से ही संघर्ष भरी रही है. उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद ना सिर्फ उसने अपना घर संभाला बल्कि अपनी मॉडलिंग को भी जारी रखा. अभिजल के माता-पिता गांव से आकर खूंटी में रहते थे. अभिजल ने एसएस 2 हाई स्कूल से इंटर की पढ़ाई की. इसके बाद नर्सिंग की पढ़ाई विशाखापत्तनम से पूरी की. नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह जॉब के लिए दिल्ली चली गयी. वहां उसे परमानेंट काम नहीं मिला. वह घर-घर जाकर नर्सिंग का काम किया करती थी. इसी दौरान उसके माता-पिता की मृत्यु हो गयी. इसी बीच देश में लॉकडाउन भी लग गया. अभिजल का काम बंद हो गया. वह खूंटी लौट गयी. घर चलाना मुश्किल होने लगा था. परन्तु अभिजल ने हार नहीं मानी. उसने मेकअप आर्टिस्ट का काम सीखा व घूम-घूमकर मेकअप का काम करने लगी. इसी बीच वह अपने मॉडलिंग के शौक को नहीं छोड़ी और आज मॉडलिंग कर रही है. अभिजल वर्तमान में खूंटी में मेकअप से संबंधित अपनी एकेडमी भी चलाती है. अभिजल अपनी सफलता का श्रेय डॉक्टर अंशु तिर्की को देती है. अभिजल बताती है कि अंशु मैम ने उसका हौसला बढ़ाया और मॉडलिंग के लिए तैयार किया.क्या कहती है अभिजल :
अभिजल कंडुलना कहती है कि आदिवासी लड़कियों के मन में यह बैठा रहता है कि उनका रंग रूप मॉडलिंग के लायक नहीं होती है. ऐसा सोचना गलत है. आदिवासी लड़कियां इन बातों पर ध्यान न दें कि वह कैसा दिखती है या उनका रंग कैसा है. वह बस लक्ष्य बनाये उसके अनुसार मेहनत करें और आगे बढ़े.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है