एक ओर जहां नगर निगम प्रशासन की ओर से पिछले पांच साल से कंबल वितरण को लेकर रार चल रहा है. वहीं दूसरी ओर युवा रंगकर्मी डॉ चैतन्य प्रकाश के निर्देशन में रंगकर्मियों ने अंगिका में रैप “कंबल जालीदार हो ” तैयार कर निगम का भंडाफोड़ कर रहे हैं. दोनों बातें चर्चा में है.
डॉ चैतन्य प्रकाश की मानें तो भागलपुर में हमेशा ही सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों के लिए प्रतिबद्ध कलाकारों की एक विशिष्ट धारा रही है, जो समय-समय पर गंभीर मुद्दों पर अपनी बात कहते हैं. वर्तमान में निगम द्वारा गरीबों को बांटने के लिए कंबल खरीद और जांच में जालीदार कंबल मिलने की घटना की चर्चा खूब गर्म है. इस प्रकरण पर व्यंग्य करना व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के व्यंग्यों की याद दिला रही है, जो कभी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व समाज के छोटे स्तर तक व्यवस्था पर व्यंग्य करके जिम्मेदारों को सुधार कराने का संदेश देते थे.
डॉ चैतन्य प्रकाश ने कला संस्कृति के संवर्धन के लिए भागलपुर में कोई खास प्रयास नहीं करने और आधुनिक प्रेक्षागृह का जीर्णोद्धार दो करोड़ में भी नहीं हुआ. बार-बार कांट्रेक्टर की मनमानी के कारण हैंडओवर तक नहीं हो पा रहा है. सीमित संसाधन के बीच सिल्क सिटी के कलाकार देशभर में नाम कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर तक झंडा गाड़ चुके हैं.चैतन्य से अभिनय, निर्देशन सीख कर कई युवा कलाकार लगातार कार्य कर रहे हैं. चैतन्य ने ही पहले अंगिका रैप तैयार कर अपनी बहुमुखी सृजन क्षमता का परिचय दिया था. कुछ दिन पहले चैतन्य लिखित व निर्देशित फिल्म अनटोल्ड स्टोरी ऑफ पवन का प्रदर्शन किया था. इसमें एक दलित बच्चे के संघर्षों की मार्मिक कहानी अभिव्यक्त हुई थी. भारतेंदु नाट्य अकादमी से प्रशिक्षित चैतन्य की उपलब्धियों की फेहरिस्त काफी लंबी है. “कम्बल जालीदार हो ” एक चुभते हुए निर्मम सत्य को व्यंग्यात्मक तरीके से अभिव्यक्त करता है. इसकी रचना व गायन स्वयं चैतन्य ने ही किया है. संगीत मनोज मीत, डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी एवं संपादन का कार्य बिट्टू कुमार यादव एवं प्रतीक ने लाइट एवं सहायक की भूमिका निभायी है. सज्जन कुमार ने दृश्यबंध का कार्य भी किया है.
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