मुंगेर. बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर मुंगेर न्यायालय में कार्यरत सभी संवर्ग के कर्मचारी गुरुवार से अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर चले गये. जबकि हाथों में मांगों के संदर्भ में लिखा तख्तियां लेकर कोर्ट परिसर में धरना पर बैठक कर अपना विरोध दर्ज कराया. इधर, कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल से व्यवहार न्यायालय में काम-काज बुरी तरह से प्रभावित रहा. सिर्फ जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट में मामलों की सुनवाई हुई. जबकि अन्य न्यायालय में ताले लगे रहे. न्यायालय कर्मचारी संघ मुंगेर के अध्यक्ष विपिन कुमार व सचिव सौरभ कुमार ने बताया कि चार सूत्री मांग को लेकर हमलोग अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर गये हैं, जिसमें वेतन विसंगति को दूर करने, तृतीय व चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को शीघ्र ही प्रोन्नति देने, शत प्रतिशत अनुकंपा बहाली करने एवं न्यायिक कैडर लागू करने की मांग शामिल है. हड़ताली कर्मचारियों ने कहा कि वर्षो से सिविल कोर्ट कर्मियों की हक मारी किया जा रहा है. लंबे समय से हमलोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जायज मांग भी हमलोगों का पूरा आज तक नहीं हो सका. जिसके कारण हड़ताल पर जाना पड़ गया. न्यायालय कर्मी संदीप कुमार चौरसिया, पीयूष कुमार, सुशांत कुमार, भागीरथ प्रसाद, अभिषेक कुमार सहित दर्जनों कर्मचारी धरना पर बैठे हुए थे.
कई कोर्ट का नहीं खुला ताला, काम काज रहा ठप
हड़ताल के कारण न्यायिक काम-काज बुरी तरह प्रभावित रहा. मुंगेर सिविल कोर्ट के अधिकांश न्यायालय का आज ताला भी नहीं खुला. जिस वजह से दो हजार से अधिक मुवक्किल का पैरवी नहीं हो सका. वहीं सैकड़ों अभियुक्त का अग्रीम जमानत एवं जमानत आवेदन पर भी सुनवाई नहीं हो सकी. विभिन्न मुकदमे में गवाहों की गवाही भी नहीं हुआ. लोक अभियोजक, विशेष लोक अभियोजक एवं अपर लोक अभियोजक टहलते हुए नजर आए. 10 से अधिक गिरफ्तार अभियुक्त का न्यायालय के समक्ष पेशी नहीं होने के कारण उसे फिर से थाना वापस ले जाने पड़ा. हालांकि जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट में मामलों की सुनवाई हुई.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है