मुजफ्फरपुर.
व्यवहार न्यायालय के कर्मचारियों ने गुरुवार को बेमियादी कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी. चार सूत्री मांगों को लेकर बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर सूबे स्तर पर सभी जिलों में हड़ताल की घोषणा की गयी है. इस दौरान सभी न्यायिक कर्मचारी कार्य से अलग रहे. व्यवहार न्यायालय के तृतीय व चतुर्थ वर्गीय उपस्थित कर्मचारी परिसर में ही बैनर पोस्टर लगाकर धरने पर बैठे रहे. न्यायालयों के न्यायिक ठप रहे. थानों में गिरफ्तार आरोपितों और वारंटियों का रिमांड भी नहीं हो सका.थाना से लेकर आए गिरफ्तार लोगों को पुलिस कर्मी वापस लेकर लौट गये. डेट पर आए पक्षकार व वकील को वापस होना पड़ा.हाजरी पैरवी भी नहीं ली गयी. किस केस में कब का डेट पड़ा इसके लिए पक्षकार व वकील-मुंशी जानकारी जुटाने के लिए बेचैन दिखे. प्रतिदिन जिले में औसतन 10 हजार मामलों में सुनवाई होती है. जो पूरी तरह से ठप हो गया. जमानत अर्जी मंजूरी के बाद कई लोगों के बेल बाउंड क्लियर नहीं हो सका. इस कारण उन्हें जमानत पर मुक्ति का आदेश भी जेल नहीं पहुंच सका. चार जनवरी को संघ के आह्वान पर कर्मचारियों ने इसको लेकर जिला स्तर पर बैठक कर सर्वसम्मति से कार्य ठप करने का निर्णय लिया था.व्यवहार न्यायालय के तृतीय व चतुर्थ वर्गीय उपस्थित कर्मचारियों ने विधि-विभाग के निर्गत पत्र की प्रति जलाई थी.संघ के मुजफ्फरपुर जिला इकाई के सचिव उमेश प्रसाद ने बताया कि विधि-विभाग ने सकारण आदेश जारी करते हुए 35 वर्षों से लंबित वेतनमान विसंगतियों के दावे को खारिज कर दिया है. साथ ही इस संबंध में हाइकोर्ट से पारित आदेश को भी दरकिनार कर दिया गया है. उन्होंने कर्मचारियों को अपनी एकता बनाए रखने के लिए आह्वान किया. बुधवार की संध्या कार्य समाप्ति के बाद सभी कर्मचारी एकजुटता दिखायी.ये हैं मांगें
1. वेतन विसंगति को जल्द से जल्द दूर करें2. तृतीय व चतुर्थ वर्गीय सभी कर्मचारियों को पदोन्नति मिले3. शत प्रतिशत अनुकंपा पर बहाली हो
4. विशेष न्यायिक कैडर को सरकार लागू करेंडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है