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Ranchi news : झारखंड में इन्क्यूवेशन सेंटर नहीं होने से प्रतिभाओं का पलायन

राज्य में एक भी इन्क्यूवेशन सेंटर नहीं है. जबकि केवल रांची में ही 10 इन्क्यूवेशन सेंटर होने चाहिए : चेंबर

रांची. झारखंड में हजारों उद्यमी हैं. उनके पास एक-से-बढ़ कर एक इनोवेटिव आइडिया है. काम करने की क्षमता है, पर राज्य में न उन्हें रजिस्टर्ड किया जा रहा है और न ही उन्हें पूंजी बेनिफिट मिल रहा है. जिससे कई उद्यमी ओड़िशा जाकर स्वयं को रजिस्टर्ड करा रहे हैं. यह बातें चेंबर के स्टार्टअप उप समिति के चेयरमैन अमित अग्रवाल ने नेशनल स्टार्टअप डे के मौके पर गुरुवार को चेंबर भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही. उन्होंने कहा कि राज्य में एक भी इन्क्यूवेशन सेंटर नहीं है. जबकि केवल रांची में ही 10 इन्क्यूवेशन सेंटर होने चाहिए.

पांच साल से बंद है इनोवेशन लैब

अमित अग्रवाल ने कहा कि एक्साइज बिल्डिंग में स्थापित इनोवेशन लैब पांच वर्ष से बंद है. उसे चालू कराने की जरूरत है. झारखंड में साल 2023 में संशोधित स्टार्टअप पॉलिसी का अब तक क्रियान्वयन नहीं हो सका है. जबकि दो वर्ष से इस पॉलिसी को प्रभावी करने की मांग की जा रही है, लेकिन विभाग द्वारा बार-बार एसओपी बनाने की बात कही जाती है.

प्रदेश की प्रतिभाएं पलायन कर रही

झारखंड चेंबर के कार्यकारिणी सदस्य मुकेश अग्रवाल ने कहा कि पॉलिसी के क्रियान्वयन में विलंब होने से प्रदेश की प्रतिभाएं पलायन कर रही हैं. साथ ही लोगों को मिलने वाला रोजगार भी प्रभावित हो रहा है. स्टार्टअप के लिए लैंड बैंक की भी समस्या है. इसकी पहल सरकार के स्तर से होनी चाहिए. सरकार को इसकी समीक्षा करनी चाहिए कि आखिर क्या कारण है कि महाराष्ट्र में 45,000 से अधिक स्टार्टअप कंपनियां हैं. लेकिन झारखंड में सिर्फ चार से पांच कंपनियां हैं. कमेटी के चेयरमैन मनीष पीयूष ने कहा कि वर्ष 2019 में राज्य सरकार द्वारा 107 स्टार्टअप कंपनियों का चयन किया गया था. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण इनमें से केवल चार-पांच स्टार्टअप कंपनियां ही सक्रिय हैं. अधिकांश कंपनियां ओड़िशा चली गयीं. मौके पर आदित्य कुमार उपस्थित थे.

केंद्रीय बजट में झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा मिल

रांची. केंद्रीय बजट में झारखंड के आर्थिक विकास से जुड़े मुद्दों का समायोजन हो सके, इसे देखते हुए चेंबर भवन में प्रत्यक्ष कर उप समिति की बैठक गुरुवार को हुई. अध्यक्षता चेंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने की. इस दौरान सदस्यों ने केंद्रीय बजट में झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. सदस्यों ने कहा कि डायरेक्ट टैक्स कोड 2025 में इंप्लीमेंटेशन लाने की आवश्यकता है. इससे बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. इस संहिता के तहत पूंजीगत लाभ को सामान्य आय के हिस्से में शामिल किया जायेगा. इससे संभावित रूप से उन पर उच्च कर दरें लागू होंगी. हालांकि, इससे पहले पूंजीगत लाभ पर अक्सर कम दरों पर अलग से कर लगाया जाता था. सदस्यों ने केंद्रीय बजट में व्यापारियों को सामाजिक सुरक्षा देने व झारखंड में स्पेशल इकोनॉमिक जोन घोषित करने की भी मांग की. उप समिति के चेयरमैन सीए पंकज मक्कड़ ने कहा कि झारखंड की प्रगति के लिए चेंबर द्वारा जल्द ही सुझाव केंद्रीय वित्त मंत्रालय को सौंपा जायेगा. मौके पर महासचिव आदित्य मल्होत्रा, को-चेयरमैन अर्पित जैन, श्रद्धा बागला, हरिकांत वत्स, अनीश जैन आदि उपस्थित थे.

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