रेरा सचिव आलोक कुमार और वरिष्ठ भू-राजस्व पदाधिकारी अमरेंद्र शाही को दिया गया प्राधिकरण से जुड़े सर्टिफिकेट केसों की सुनवाई का अधिकार संवाददाता, पटना बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) देश भर में स्थापित प्राधिकरणों में सर्टिफिकेट मामलों की सुनवाई उसके अपने अधिकारियों द्वारा करने वाला पहला रेरा बन गया है. इस तरह की पहली सुनवाई 17 फरवरी को ललित भवन स्थित प्राधिकरण के जन सरोकार केंद्र में होगी. राज्य सरकार ने प्राधिकरण के अनुरोध के आलोक में बिहार और ओडिसा लोक मांग वसूली अधिनियम, 1914 के तहत संदर्भित मामलों की सुनवाई के लिए रेरा बिहार के दो वरिष्ठ अधिकारियों को प्रमाणपत्र अधिकारी के रूप में अधिसूचित करने की अनुमति दी है. रेरा बिहार के सचिव आलोक कुमार को ऐसे मामलों की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया है, जिनमें वसूली राशि 25 लाख रुपये से अधिक है. इससे कम वसूली राशि वाले प्रमाणपत्र मामलों की सुनवाई वरिष्ठ भू- राजस्व पदाधिकारी अमरेंद्र शाही द्वारा की जायेगी. पटना जिला प्रशासन ने पहले ही रेरा अधिकारियों द्वारा प्रमाणपत्र अधिकारी के रूप में अधिसूचित किये जाने वाले ऐसे 90 मामलों को सुनवाई के लिए अधिकृत कर दिया है. सुनवाई के पहले दिन यानी 17 फरवरी को सचिव की अध्यक्षता वाली पीठ छह मामलों की सुनवाई करेगी और नौ मामलों की सुनवाई वरिष्ठ भू- राजस्व पदाधिकारी द्वारा की जायेगी. बिहार रेरा के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह ने कहा कि पहले प्राधिकरण और न्यायनिर्णायक अधिकारी द्वारा पारित आदेशों का पालन न करने की स्थिति में दोषी प्रोमोटरों द्वारा मामलों को लोक मांग वसूली अधिनियम के तहत जिला प्रशासन को स्थानांतरित कर दिया जाता था. अब, इन मामलों की सुनवाई भी रेरा के अधिकारियों द्वारा की जायेगी, जो पीड़ित घर खरीदारों के लिए एक बड़ी राहत होगी. उन्हें एक छत के नीचे न्याय मिलेगा. मालूम हो कि जिला प्रशासन के सर्टिफिकेट अधिकारियों को विभिन्न सरकारी विभागों और बैंकों आदि जैसी अन्य संस्थाओं द्वारा भेजे गये सर्टिफिकेट मामलों की सुनवाई करनी पड़ती है. अब रेरा से संबंधित मामलों के मामले में चीजें बदल जायेगी क्योंकि रेरा बिहार के सर्टिफिकेट अधिकारी केवल प्राधिकरण द्वारा भेजे गये मामलों की सुनवाई करेंगे. इससे ऐसे मामलों के निबटारे में तेजी आने की उम्मीद है. जानकारी के मुताबिक रेरा बिहार ने अब तक 1125 मामलों को जिला प्रशासन को हस्तांतरित किया है, जिसमें 600 से अधिक मामलों का निबटारा किया जा चुका है. जिला प्रशासन को हस्तांतरित प्रमाणपत्र मामलों के निबटारे के तहत अग्रणी होम्स की 85.6 डिसमिल जमीन की नीलामी भी की जा रही है.
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