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जिले के लोग सरकारी सीटी स्कैन की सुविधा से हैं वंचित

जिले के लोग सरकारी स्तर पर सीटी स्कैन की सुविधा से वंचित हैं. जिला बनने के कई दशक बाद भी यहां सरकारी स्तर पर लोगों को सीटी स्कैन की सुविधा नहीं मिल पा रही है.

जहानाबाद.

जिले के लोग सरकारी स्तर पर सीटी स्कैन की सुविधा से वंचित हैं. जिला बनने के कई दशक बाद भी यहां सरकारी स्तर पर लोगों को सीटी स्कैन की सुविधा नहीं मिल पा रही है. जिले के लोगों को यह सुविधा उपलब्ध करने का डीएम का प्रयास फिर विफल हो चुका है. जमीन के अभाव में सीटी स्कैन नहीं लगाया जाने को लेकर जहानाबाद की डीएम अलंकार पांडे ने सदर अस्पताल के सामने शिक्षा विभाग कि उस बिल्डिंग में सीटी स्कैन मशीन लगाने का सुझाव दिया था जिसमें पहले डीइओ कार्यालय संचालित किया जा रहा था. डीएमके सुझाव के बाद सिविल सर्जन और जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से स्वास्थ्य विभाग को इसका प्रस्ताव भेजा गया था. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय से सर्वे के लिए टीम आई किंतु एजेंसी ने उस बिल्डिंग और जमीन के सर्वेक्षण के बाद उस सीटी स्कैन मशीन लगाने के लिए अनुपयुक्त पाया. इसके बाद जहानाबाद जिले में सरकारी स्तर पर यहां के लोगों को सीटी स्कैन की सुविधा देने का मामला फिर से आधार में लटक गया. जबकि अरवल जैसे छोटे जिले में भी सरकारी स्तर पर यह सुविधा वहां के लोगों को मिल रही है. पिछले वर्ष अगस्त महीने में ही अरवल में सीटी स्कैन मशीन का उद्घाटन किया गया है. जबकि जहानाबाद जैसे बड़े जिले में यहां के लोगों को अभी तक यह सुविधा मयस्सर नहीं हुई है जिसके कारण किसी दुर्घटना के मरीज को ब्रेन में चोट लगने पर अथवा ब्रेन हेमरेज की आशंका होने पर लोगों को या तो महंगे दाम पर प्राइवेट से सीटी स्कैन कराना पड़ता है अथवा जिले के चिकित्सक उन्हें सीधे पीएमसीएच रेफर कर देते हैं. मरीज या उनके परिजनों के साथ-साथ डॉक्टर को भी इस बात की जानकारी नहीं हो पाती है कि मरीज की हालत कितनी सीरियस है. वह पटना पहुंच पाएगा अथवा नहीं, जिसके कारण सिर में गंभीर चोट लगने के बाद कई मरीज पटना पहुंचने के पहले रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. जबकि कई ऐसे मरीज को भी पटना जाना पड़ता है जिनके सिर में कोई गंभीर चोट नहीं होती और उनका इलाज जहानाबाद में ही किया जा सकता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिले में सरकारी स्तर पर सीटी स्कैन की सुविधा आज तक उपलब्ध नहीं हो पाई है.

राज्य की सर्वेक्षण टीम के आकलन के बाद होता है निर्णय :

जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई बार सर्वेक्षण टीम को भेजा गया. किसी जिले में सीटी स्कैन की मशीन स्थापित करने के लिए सबसे पहले सिविल सर्जन कार्यालय और जिला स्वास्थ्य समिति के स्तर से उसके लिए उपयुक्त जगह का चयन किया जाता है. इसकी सूचना राज्य मुख्यालय को दी जाती है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मुख्यालय से एक सर्वेक्षण की टीम को जिले में भेजा जाता है जिसके द्वारा चयनित जगह का अवलोकन कर वहां पर सीटी स्कैन की मशीन और उसके लिए अन्य जरूरी सुविधाएं स्थापित किए जाने की संभावना का आकलन किया जाता है. अगर टीम को ऐसा लगता है कि वहां सीटी स्कैन की मशीन की स्थापना कर सेवा की शुरुआत की जा सकती है तो वह अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विहार के राज्य मुख्यालय को देती है. जिसके बाद बीएमआरसीएल के द्वारा इसके लिए टेंडर निकाला जाता है. टेंडर विभिन्न एजेंसियों के द्वारा भरी जाती है, उसमें से किसी एक का चयन कर उसे उक्त जिले में सीटी स्कैन सेवा उपलब्ध कराने की अनुमति प्रदान की जाती है.

जिले में कई बार आ चुकी है सर्वेक्षण की टीम :

जहानाबाद जिले में सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के राज्य मुख्यालय से कई बार सर्वेक्षण की टीम आ चुकी है. हालांकि सर्वेक्षण टीम को अभी तक सीटी स्कैन मशीन स्थापित करने और उसकी सेवा जनता को उपलब्ध कराने के लिए उपयुक्त जमीन नहीं मिल पायी है. अभी तक जितनी भी सर्वेक्षण की टीम आई उसने सदर अस्पताल का दौरा किया जहां सीटी स्कैन के लिए उपयुक्त जमीन उपलब्ध नहीं हो पायी, जिसके कारण सेवा उपलब्ध कराए जाने के लिए बीएमआरसीएल के द्वारा टेंडर नहीं निकाला गया. यही स्थिति डायलिसिस सेंटर के लिए भी हुई थी. हालांकि तत्कालीन जिलाधिकारी रिची पांडेय के आने के बाद अस्पताल के विकलांग पुनर्वास केंद्र में डायलिसिस सेंटर स्थापित करने की अनुशंसा किए जाने के बाद वहां सर्वेक्षण टीम ने जगह को उपयुक्त पाया जिसके बाद वहां डायलिसिस सेंटर की स्थापना की जा सकी.

2023 के जुलाई माह में भी आयी थी सर्वेक्षण टीम :

सदर अस्पताल के पुराने रेड क्रॉस भवन में सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराने का सुझाव वर्ष 2023 में तत्कालीन सिविल सर्जन और जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा अनुशंसा कर राज्य मुख्यालय को भेजा गया था जिसके बाद राज्य मुख्यालय के द्वारा सर्वेक्षण की टीम जिले में उस साल जुलाई माह में भेजी गई थी. बीएमएसआईसीएल की सर्वेक्षण टीम को रेड क्रॉस भवन सिटी स्कैन स्थापित करने के लिए अनुपयुक्त लगा. टीम को एंबुलेंस चालक के रहने के लिए बनाए गए हॉल सदर अस्पताल परिसर में सीटी स्कैन स्थापित करने के लिए उपयुक्त लगी किंतु इसी बीच सदर अस्पताल के भवन को गिरकर उसकी जगह 9 मंजिला आधुनिक भवन बनाने का प्रस्ताव पारित हो गया जिसके लिए निविदा निकली गई और फिर चयनित एजेंसी के द्वारा पुराने भवन को गिराने का कार्य भी पूरा हो गया. इसके बाद एंबुलेंस चालक के हाल में सीटी स्कैन लगाने का प्रस्ताव का मामला अधर में लटक गया.

डीएम अलंकृता पांडेय ने फिर की थी पहल :

जहानाबाद जिले में सीटी स्कैन की सुविधा यहां के मरीजों को देने के लिए जहानाबाद की डीएम अलंकृत पांडेय ने 4 महीने पहले फिर से प्रयास की थी. इसके लिए उन्होंने शिक्षा विभाग के उस पुराने भवन को देखा जिसमें पहले गर्ल मिडिल स्कूल और बाद में डीईओ ऑफिस का संचालन किया जाता था. यह भवन सदर अस्पताल के सामने ही है. डीएम की अनुशंसा के बाद सिविल सर्जन के माध्यम से इसके लिए प्रयास किया गया और विभाग को उक्त जमीन के बारे में विवरण देते हुए रिपोर्ट भेजी गयी. इसके बाद विभाग से सर्वे टीम को भेजा गया, किंतु एजेंसी ने उक्त जमीन को सीटी स्कैन लगाने के लिए अनुपयुक्त पाया.

क्या कहते हैं अधीक्षक

डीएम की अनुशंसा के बाद सदर अस्पताल के सामने के शिक्षा विभाग की उस बिल्डिंग के बारे में रिपोर्ट विभाग को भेजी गयी थी. इसके बाद सर्वेक्षण टीम के द्वारा उक्त भवन का निरीक्षण भी किया गया किंतु टीम ने वहां सीटी स्कैन लगाने के लिए जगह को अनुपयुक्त पाया. उपयुक्त जमीन के अभाव में सदर अस्पताल में सीटी स्कैन नहीं लगाया जा सका है. डॉ प्रमोद कुमार, प्रभारी अधीक्षक, सदर अस्पताल, जहानाबाद

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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