14.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्या आप जानते हैं, भारत ने पाकिस्तान को क्यों नहीं दिया था चावल और ताजमहल के नहीं किए थे टुकड़े?

Story Of Partition Of India : 1947 में जब भारत दो टुकड़ों में बंटा तो यहां की तमाम चीजों का बंटवारा हुआ, जिसमें सरकारी खजाने, फर्नीचर, रेलवे, पुस्तकें, डाक टिकट, झाडू़, साइकिल बग्गी, गाड़ियां अनाज और सड़कों का भी विभाजन अंग्रेजी हुकूमत ने कर दिया. लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी थीं जिनका विभाजन संभव नहीं था और भारत ने उन चीजों पर अपना हक जताया और विभाजन से मना कर दिया.

Story Of Partition Of India 4 : भारत विभाजन की प्रक्रिया जब शुरू हुई तो कांग्रेस ने सबसे पहले देश के नाम भारत पर अपना दावा ठोंका और यह कहा कि वह भारत नाम पर अपना एकाधिकार चाहता है और इस मसले पर वह किसी भी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं है. हालांकि उस वक्त इस तरह के सुझाव सामने आए थे कि देश का नाम हिंदुस्तान कर दिया जाए. लेकिन इस सुझाव को कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया और भी कहा कि चूंकि पाकिस्तान, भारत से अलग होकर जा रहा है इसलिए भारत नाम पर हमारा हक है और संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं में भारत की जो हैसियत थी वो भारत की होगी ना कि पाकिस्तान की.

विभाजन के वक्त क्या थी स्थिति?

विभाजन के वक्त जब सूची तैयार की जा रही थी तो दोनों तरफ से ही खूब बहस हुई और अपने-अपने दावे ठोके गए. कइयों ने अच्छे सामानों को छुपाकर टूटी-फूटी कुर्सी और मेज तक रखे, ताकि उन्हें फायदा हो. बंटवारे पर बहस होती, मारपीट जैसी स्थिति हो जाती और मारपीट भी होती, तब जाकर फैसला होता कि कौन सी चीज कहा जाएगी. फ्रीडम एड मिडनाइट में डोमिनीक लापिएर और लैरी काॅलिन्स लिखते हैं कि लाइब्रेरी की किताबों को लेकर तो इतना झगड़ा हुआ कि किसी किताब का एक हिस्सा पाकिस्तान में तो दूसरा भारत में रहा. डिक्शनरी के दो हिस्से करके बांट दिए गए. चूंकि भारत और पाकिस्तान का विभाजन धर्म के आधार पर हो रहा था इसलिए एक बड़ा मसला था जिसपर काफी विवाद हो रहा था. यह मामला था समुद्र में मारे गए जहाजियों की पत्नियों को पेंशन देने का. अगर कोई मुस्लिम महिला भारत में रह जाती है, तो क्या उसे पेंशन पाकिस्तान देगा? हिंदू महिला को क्या पेंशन भारत देगा? ऐसे कई प्रश्न थे, जिनका जवाब तलाशना काफी मुश्किल हो रहा था. भारत के हिस्से में कितनी मील सड़क आएगी, पाकिस्तान का हक कितने रेल लाइनों पर होगा?

गुप्तचर विभाग की चीजों का विभाजन नहीं हुआ

भारत के बंटवारे के वक्त कई ऐसी चीजें भी थीं, जिनका बंटवारा संभव नहीं था और उनमें से एक थी गुप्तचर विभाग की फाइलें. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया था वे एक भी फाइल या विभाग का कुछ भी सामान पाकिस्तान को नहीं देंगे, जिसकी वजह से गुप्तचार विभाग के सामानों का बंटवारा नहीं हुआ. 

नोट और डाक टिकट का भी नहीं हुआ बंटवारा

Story Of Partition Of India
भारतीय डाक टिकट और नोट जिसपर मुहर लगाकर पाकिस्तान ने इस्तेमाल किया

भारत के विभाजन के फलस्वरूप दो देश अस्तित्व में आए थे-भारत और पाकिस्तान. अब समस्या यह थी कि भारत में नोट और डाक टिकट जिस प्रेस में छपता था, वह प्रेस एक ही था. भारत ने यह स्पष्ट कर दिया नोट और डाक टिकट किसी भी देश की पहचान है और वे इस प्रेस का बंटवार नहीं कर सकते हैं. परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान को लगभग एक साल तक भारत की मुद्रा ही अपनानी पड़ी, वे इन नोटों पर रबर से बना स्टांप लगाकर नोट को अलग करते थे.

इसे भी पढ़ें : आठवें वेतन आयोग में न्यूनतम बेसिक सैलरी 51 हजार तक होने का अनुमान, 2.86 हो सकता है फिटमेंट फैक्टर

जब मांओं ने बेटियों को जिंदा जला दिया, वक्त का ऐसा कहर जिसे सुनकर कांप जाएगी रूह

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

भारत ने पाकिस्तान को नहीं दिया चावल 

पाकिस्तान ने भारत सरकार से यह आग्रह किया था कि उनके सिंध प्रांत से 11 हजार टन चावल भारत भेजा गया था, वह उन्हें वापस कर दिया जाए. लेकिन भारत ने यह आग्रह स्वीकार नहीं किया. यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारत ने किसी बुरे इरादे से चावल नहीं लौटाने का फैसला नहीं किया था, बल्कि चावल इसलिए नहीं दिया गया, क्योंकि वह चावल भारत के पास था ही नहीं, उसे खा लिया गया था. 

ताजमहल को तोड़कर पाकिस्तान भेजने की थी मांग

कुछ कट्टरपंथी यह मुसलमान यह चाहते थे कि ताजमहल को तोड़कर पाकिस्तान भिजवा दिजा जाए, क्योंकि ताजमहल का निर्माण एक मुसलमान शासक ने करवाया था. उसी तरह हिंदू यह चाहते थे कि सिंधु नहीं उन्हें मिलनी चाहिए, क्योंकि वेद की रचना इसी नदी के किनारे हुई थी. भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान कुछ चीजें ऐसी थीं, जिनका बंटवारा सिक्का उछाल कर किया गया. सिर्फ एक चीज थी जो ना तो भारत के हिस्से आई ना पाकिस्तान की. वो चीज था एक बिगुल. जब वायसराय के अस्तबल के सामानों का बंटवारा हो रहा था, तो उसमें एक बिगुल निकला, जिसे लेकर लड़ाई होने लगी.कुछ लोग उसके टुकड़े करना चाहते थे, तब वायसराय के एसडीसी ने उसे निशानी के तौर पर रखने की बात कही और उसे लेकर चले गए.

इसे भी पढ़ें : जब पड़ोसियों को भी जिंदा जलाने और नाखूनों से नोंचकर मारने में लोगों ने नहीं किया संकोच!

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें