पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित विद्यापति सभागार में आयोजित दो दिवसीय अनुसंधान परिषद की बैठक के दूसरे दिन मक्का के दो प्रभेद राजेंद्र मक्का 5 व राजेन्द्र मक्का 6 और मसूर के एक प्रभेद राजेंद्र मसूर 2 को रिलीज के लिए प्रस्तुत किया गया. तीनों प्रभेद को इस आरसीएम की बैठक में रिलीज करने के लिए अनुशंसा की गयी है. इसमें मुख्य रूप से राजेंद्र हाइब्रिड मक्का पांच है. कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालय कार्नेल विश्वविद्यालय अमेरिका समेत कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर कई अनुसंधान कर रहा है. 2047 तक भारत को विकसित बनाने में कृषि वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है. कहा कि अनुसंधान परियोजनाओं में किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता दी गई है. वैज्ञानिकों के लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध है. लगभग पचास से अधिक वैज्ञानिकों ने पिछले दो वर्षों में बीस से अधिक देशों में कार्य किया है. पूर्व कुलपति डॉ. एमवी चेट्टी ने कहा कि पिछले दो सालों में 13 पेटेंट, छह किस्में, और 18 से अधिक तकनीकों का विकास सराहनीय है. पूर्व कुलपति डॉएआर पाठक ने वैज्ञानिकों के राष्ट्र के प्रति योगदान के महत्व पर जोर दिया. अनुसंधान निदेशक डॉ. एके सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में अनुसंधान को नई दिशा मिली है. कार्यक्रम में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ मयंक राय, निदेशक शिक्षा डा उमाकांत बेहरा, डीन बेसिक साइंस डॉ अमरेश चंद्रा, डीन इंजीनियरिंग डॉ राम सुरेश वर्मा, डीन वानिकी डॉ आरके झा, डीन कम्युनिटी साइंस डॉ उषा सिंह, पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ राकेश मणि शर्मा, डॉ मुकेश कुमार, डॉ महेश कुमार, डॉ शिवपूजन सिंह, डॉ शंकर झा , डॉ कुमार राज्यवर्धन आदि मौजूद थे.
राजेंद्र मक्का 5
इस किस्म के पौधा की ऊंचाई 185 से 190 सें मीटर है. यह 135-140 दिनों में परिपक्व हो जाता है. यह टर्सिकम पत्ती ब्लाइट और फॉल आर्मी वर्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है. 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की बीज दर के साथ इसकी उपज वर्तमान प्रभेदों से लगभग दस प्रतिशत अधिक है.राजेन्द्र मक्का 6
राजेंद्र मक्का 6 किस्म 190-195 सेमी की पौधा ऊंचाई वाला है. 150-160 दिनों में परिपक्व हो जाता है. यह फॉल आर्मी वर्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है. 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की बीज दर के साथ इसकी उपज वर्तमान प्रभेदों से 15 प्रतिशत अधिक है.राजेंद्र मसूर 2
राजेंद्र मसूर 2 यह किस्म प्रति हेक्टेयर 1750 किग्रा की औसत उपज देती है. यह विल्ट रोग, पोड बोरर, एफिड, और रूट नॉट नेमाटोड रोगो के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, जो इसे बिहार में संपूर्ण रूप से उगाने के लिए उपयुक्त बनाती है. इसके पौधे ऊंचाई 42 सेमी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है