Watch Video : इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (इसरो) ने एक वीडियो जारी किया है. इसमें उसके अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पैडेक्स) के तहत सफल सैटेलाइट डॉकिंग को दिखाया गया है. इसके साथ ही भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद टेक्निकल माइलस्टोन हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है. वीडियो में नजर आ रहा है कि किस तरह सैटेलाइट की कपलिंग को अंजाम दिया गया. इसके बाद इसरो के नए अध्यक्ष वी. नारायणन ने मैसेज जारी किया. उन्होंने अंतरिक्ष एजेंसी की टीम को बधाई दी. देखें वीडियो
अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वीडियो जारी किया है. इसके कैप्शन में कहा, “इसरो ने 16 जनवरी, 2025 की तड़के दो स्पैडएक्स उपग्रहों (एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02) की डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है.”
SpaDeX मिशन को किया गया था कैंसिल
इसरो ने सैटेलाइटों के बीच आने वाली समस्या का हवाला दिया था. इसके बाद 8 जनवरी को दूसरी बार स्पैडेक्स मिशन को कैंसिल किया था. डॉकिंग मिशन के पहले प्रयास के लिए 7 जनवरी की तारीख तय की गई थी. फिर इसे 9 जनवरी के लिए इसरो ने फिक्स किया था. पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने घोषणा की थी कि 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा, जिसे “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” कहा जाएगा.
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अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन को 30 दिसंबर, 2024 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था. इसरो ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है! गुड मॉर्निंग इंडिया… इसरो के स्पैडेक्स मिशन ने ऐतिहासिक डॉकिंग सफलता हासिल की है. इस पल का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है!”
‘डॉकिंग’ टेक्नोलॉजी क्यों है जरूरी
अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ टेक्नोलॉजी तब आवश्यक होती है जब सामान्य मिशन को सफल बनाने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपणों की जरूरत होती है. ‘डॉकिंग’ प्रयोग चंद्रयान-4, गगनयान, अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री उतारने सहित भविष्य में देश के महत्वाकांक्षी अभियानों के सुचारू संचालन के लिए महत्वपूर्ण है.