धनबाद.
देश में आज पब्लिक सेक्टर को बचाने की जरूरत है. केंद्र सरकार रेलवे, कोयला जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अदानी-अंबानी के हाथों में सौंपने की नीति बना रही है. इसपर अमल भी हो रहा है. अगर देश की अर्थव्यवस्था को बचाना है तो पब्लिक सेक्टर के उपक्रम रेलवे, कोयला जैसे उद्योग सरकार के नियंत्रण में ही रहने चाहिए. इसके लिए एक बड़ी लड़ाई की जरूरत है. उक्त बातें भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने ईस्ट सेंट्रल रेलवे एम्प्लाइज यूनियन की ओर से शुक्रवार को धनबाद के गांधी सेवा सदन में आयोजित सेमिनार सह कर्मचारी सम्मान समारोह को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए कही. अध्यक्षता संतोष पासवान ने की. संचालन अवधेश कुमार गुप्ता ने किया.इसीआरइयू की जीत पर दी बधाई
सेमिनार में श्री भट्टाचार्य ने कहा कि रेलवे में अभी जो चुनाव हुए, उसमें इस बार एक्टू (एआइसीटीयू) से संबद्ध इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन को बड़ी जीत मिली है. झारखंड-बिहार के विधानसभा व संसद में भी हमारे लोग चुनकर गये हैं. उन ताकतों के खिलाफ रेलवे व कोयला उद्योग के मजदूरों की लड़ाई के साथ निजीकरण के मुद्दे पर भी हम लड़ाई लड़ेंगे. वहीं निरसा विधायक अरुप चटर्जी ने कहा कि भविष्य में रेलवे के निजीकरण के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जायेगा. मंडल सचिव सुनील कुमार सिंह ने कहा कि रेल कर्मियों ने ओपीएस के लिए संघर्षशील निजीकरण रोकने की हिमायती कर्मचारियों के मुद्दों पर हमेशा संघर्ष करने वाली इसीआरइयू का साथ दिया है. विशिष्ट वक्ता सह महासचिव (इसीआरआरयू) मृत्युंजय कुमार ने कहा कि रेल कर्मियों ने ईस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाई यूनियन को अपनी पहली पसंद बनाते हुए विजयश्री का माला पहनाया है. मौके पर केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एसपी साहु, उपाध्यक्ष श्रवण कुमार, संयुक्त महासचिव प्रवीण कुमार, केंद्रीय संगठन सचिव बीआर सिंह, नागेंद्र कुमार, उदय महतो, कमलेश मांझी, मुकेश कुमार, पंकज कुमार, सुनील कुमार साव, सुनील कुमार सिंह आदि उपस्थित थे.
वरीय मंडल अभियंता को सौंपा ज्ञापन :
कार्यक्रम के बाद इसीआरइयू का प्रतिनिधिमंडल कर्मचारियों की समस्याओं पर वरीय मंडल अभियंता (समन्वय) से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है