Chanakya Niti: चाणक्य नीति न सिर्फ राजनीति और युद्धनीति में उपयोगी है बल्कि सामान्य जीवन के लिए भी बहुत ही उपयोगी साबित होती है. इसका मकसद इंसान के जीवन को सही दिशा देने के साथ व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर सफलता हासिल करने के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करना है. चाणक्य नीति धन, व्यापार, वैवाहिक जीवन आदि जिंदगी से जुड़े विभिन्न समस्याओं से निपटने का हल बताती है. इसी तरह चाणक्य नीति में पुत्रों से जुड़े कुछ बातों का उल्लेख किया गया है. जिसमें उनके गुणों और अवगुणों का वर्णन किया गया है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस संतान में ये अवगुण होते हैं, वह माता-पिता के लिए दुश्मन के समान होते हैं. वह जीवन भर माता-पिता को कष्ट पहुंचाते हैं.
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- आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से पुत्र के सद्गुणों को बताते हुए कहते हैं कि सैकड़ों बुद्धिमान और योग्य पुत्रों से एक बुद्धिमान पुत्र ही बेहतर होता है. ऐसे पुत्र माता-पिता के दुखों को अपना दुख समझते हैं.
- चाणक्य नीति के मुताबिक, जो संतान बुरी संगत में फंस जाता है. वह बुद्धिहीन होता है. ऐसे पुत्र का मर जाना ही सही होता है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसी संतान के मरने पर माता-पिता कुछ ही दिन दुख होता है. लेकिन अगर वह जीवित रहता है तो पूरा जीवन कष्टदायक होता है.
- चाणक्य नीति के अनुसार, जिसका संतान मूर्ख, अनपढ़ और कम पढ़ा लिखा होता है. उसके माता-पिता का पूरा जीवन कष्ट से गुजरता है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसा पुत्र माता-पिता के लिए दुश्मन के समान होता है. इसलिए वह कहते हैं कि संतान को समझदार और बुद्धिमान होना चाहिए.
- चाणक्य नीति में लिखा है कि जो गाय दूध नहीं देती है या फिर वह बछड़े को जन्म नहीं दे सकती है. फिर उसका कोई मोल नहीं रह जाता है. इसी प्रकार ऐसी संतान भी किसी काम की नहीं होती है, जो कि बुद्धिमान न हो और माता-पिता की सेवा न करता हो.
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