ईस्ट एन वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में मनायी गयी महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि सहरसा . स्थानीय पटुआहा स्थित ईस्ट एन वेस्ट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में रविवार को महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर उनके तैलचित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें याद किया गया. इस माैके पर ईस्ट एन वेस्ट काॅलेज समूह के चेयरमैन डॉ रजनीश रंजन ने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन साहस स्वतंत्रता व आत्म सम्मान की मिशाल है. उनके त्याग एवं बलिदान को आज भी भारतवासी सम्मान पूर्वक याद करते हैं. कहा कि महाराणा प्रताप ने अपना पूरा जीवन मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ स्वतंत्रता व स्वाभिमान की रक्षा करते 19 जनवरी 1597 को चांवड़ में वीर गति को प्राप्त की थी. उन्होंने अंतिम समय तक अपने सिद्धांत व स्वतंत्रता के लिए निष्ठा बनाये रखा. इस अवसर पर चेयरमैन ने अपनी कविता अपने निशंख के हर क्षण में प्रतिमान रखा पुरखों का, वे चाहता तो भाव वैभव चरण तलों में होता पर मान की बात न मानकर मान रखा पुरखों का, की प्रस्तुति दी. मौके पर महाविद्यालय के प्राध्यापक सह जनसंपर्क पदाधिकारी अभय मनोज ने चेयरमैन की बातों को दोहराते कहा कि महाराणा प्रताप राजपूत शौर्य व आत्म सम्मान के बहुत बड़े प्रतीक थे. इस मौके पर ईस्ट एन वेस्ट डिग्री काॅलेज के प्राचार्य डॉ बसंत कुमार मिश्रा, ईस्ट एन वेस्ट ऑनलाइन परीक्षा केंद्र प्रभारी राजेश कुमार सिंह एवं ईस्ट एन वेस्ट रेडियो स्टेशन के मैनेजर सलीम सहगल सहित अन्य मौजूद थे. . ………………………………………………………………………………………. महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित सहरसा महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ धर्म जागरण मंच द्वारा स्थानीय नलकूप में मनाया गया. कार्यक्रम में धर्म जागरण जिला संयोजक सागर कुमार नन्हें ने महाराणा प्रताप के तैलीय चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एक महान योद्धा एवं शासक थे. उन्होंने मुगल सम्राट अकबर के आक्रमण का बहादुरी से मुकाबला किया था. महाराणा प्रताप एक वीर योद्धा थे एवं उनका जन्म नौ मई 1540 को मेवाड़ के कुंभलगढ़ किले में हुआ था. बचपन में उन्हें कीका नाम से बुलाया जाता था. उनके पिता का नाम महाराणा उदयसिंह और माता जयवंत कंवर थी. वे राणा सांगा के पौत्र थे. राजपूताना राज्यों में मेवाड़ का एक अपना विशिष्ट स्थान है. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया एवं अपने पूरे जीवनकाल में मुगलों से लड़ते रहे. उनका सबसे प्रसिद्ध युद्ध हल्दीघाटी का युद्ध था. जिसमें उन्होंने मुगल सेना को कड़ी टक्कर दी थी. वे एक कुशल योद्धा एवं शासक थे. मौके पर प्रशांत सिंह राजू, बुल्लू झा, विनीत कुमार, ऋषव झा, मानस मिश्रा, मोनू महाकाल, रोहन सिन्हा गुलशन, मनीष चौपाल, रवि सिंह, गोलू सिंह, रिशु सिंह, आर्यन सिंह, विवेक झा, विनय मिश्रा, शिवम तिवारी, बंटी झा, बिटू गुप्ता, विक्की चौधरी सहित अन्य मौजूद थे. फोटो – सहरसा 30 – श्रद्धांजलि अर्पित करते कार्यकर्ता
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है