गायत्री शक्तिपीठ में व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का आयोजन गरीबों के बीच बड़ी संख्या में बांटे गये कंबल सहरसा . गायत्री शक्तिपीठ में रविवार को व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का आयोजन किया गया. सत्र को संबोधित करते डॉ अरूण कुमार जायसवाल ने गांधीजी की बुनियादी शिक्षा, स्वरोजगार एवं गणतंत्र दिवस के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि गांधीजी की बुनियादी शिक्षा, स्वरोजगार और गणतंत्र दिवस गणतंत्र दिवस का मतलब है उस दिन भारत संविधान, संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ. गणतंत्र दिवस से भारत को राष्ट्राध्यक्ष यानी राष्ट्रपति मिला. भारतवर्ष में पंचायत से लेकर प्रदेश तक सब को कुछ स्वायतता है एवं कुछ निर्भरता है. स्वायतत्ता उसको स्वतंत्र बनाती है. निर्भरता उसको गण से जोड़ती है. भारत गांव, प्रांत व प्रदेशी का एक संघ है. जैसे यूनाइटेड स्टेटस ऑफ अमरीका, जितनी स्टेटस है उनका यूनियन मिलकर के अमेरिका है. उसी तरह से भारत के सारे प्रदेश मिलकर के भारत वर्ष है. गांधीजी उसके पहले इस दुनिया से जा चुके थे. हालांकि संविधान सभा का निर्माण गांधी जी के समय हुआ था. जिसके अध्यक्ष भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे. जिसमें आंबेडकर सहित अन्य कई सदस्य थे. लेकिन संविधान सभा ने जो संविधान दिया व जब लागू हुआ वह 26 जनवरी का दिन था. समय के अनुसार नियम को, कानून को बदला गया. वेद में बदलाव संभव नहीं है. लेकिन स्मृति में समयानुसार बदलाव संभव है. उन्होंने कहा कि शिक्षा तो अंग्रेजों ने भी चलाई. अंग्रेजों ने अपने स्वार्थ हित के लिए शिक्षा का स्वरूप बनाया. आज हम कहानी भी पढ़ते हैं तो सिंड्रेला की पढ़ते हैं. लेकिन हमारे देश में इतनी लोककथाएं बिखरी पड़ी हुई है, उनको भी जानो. उन्होंने कहा कि किसी भी समाज में परिवर्तन की शुरुआत राजनीति से नहीं, संस्कृति से होती है. राजनीति से शासन बदलता है समाज नहीं. उन्होंने कहा कि विचार परिवर्तन का मतलब है मानसिक संरचना में परिवर्तना. विचार परिवर्तन का मतलब है दृष्टिकोण में परिवर्तन. वहीं ठंढ के प्रकोप को देखते हुए बड़ी संख्या में कंबल बांटे गये. शक्तिपीठ में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस झंडोत्तोलन समारोह 9.30 बजे से मनाया जायेगा.
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