भभुआ सदर. वर्तमान परिवेश में साइबर क्राइम बड़ी तेजी से शहर से लेकर ग्रामीण स्तर पर अपना पांव पसार रहा है और मोबाइल के इस युग में प्रतिदिन लोग साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं. आलम यह है कि केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए जन जागरूकता चला रही है. मोबाइल द्वारा भी वायस मैसेज के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन फिर भी लोग साइबर ठगों के जाल में फंसने से बच नहीं पा रहे है. रविवार को स्थानीय जगजीवन स्टेडियम में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों पर प्रभात खबर ने युवाओं, शिक्षक और खिलाड़ियों से संवाद किया. इसमें शामिल अधिकतर युवाओं ने कहा कि साइबर अपराध से बचने के लिए सरकार या प्रशासनिक स्तर से ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है. क्योंकि, लोग जागरूक होंगे, तभी साइबर क्राइम से बचाव हो सकता है. दरअसल, साइबर क्राइम मामले मोबाइल, कंप्यूटर, नेटवर्क व डिजिटल उपकरणों से जुड़ी अवैध गतिविधियां हैं. साइबर क्राइम में मुख्य रूप से किसी की निजी जानकारी गैरकानूनी तरीके से हासिल करना, साक्ष्य को मिटाना या उसमें बदलाव करना, ऑनलाइन पासवर्ड की चोरी करना और बैंक खातों से पैसे चुराना, आपके पहचान की चोरी कर फेसबुक, वाट्सअप का इस्तेमाल करना और लोगों को अपने विश्वास में लेकर ऑनलाइन चोरी करना, क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड के पासवर्ड को हैक कर गलत इस्तेमाल करना या कैश ट्रांजेक्शन करना, एकाउंट हैक करना और लिंक भेजकर गुमराह करना आदि प्रमुख है. = सचेत नहीं रहे, तो हो सकते हैं साइबर अपराध के शिकार प्रभात खबर संवाद में उपस्थित साइबर एक्सपर्ट संजय श्रीवास्तव ने बताया कि शातिर साइबर क्राइम से जुड़े लोग फोन कर लोक लुभावने स्कीम के बारे में चर्चा करते हुए आपकी जिज्ञासा को बढ़ाते हैं और आपकी उत्सुकता को भांपते हुए आपका नाम, पता, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता के आखिरी चार अंक, क्रेडिट कार्ड के आखिरी, चार अंक व डेबिट कार्ड के आखिरी चार अंक की मांग करते हैं. अगर उनकी बातों में आकर आप इनकी मांग के अनुरूप जवाब देने लग जाते हैं, तो आप साइबर क्राइम के शिकार होने के रास्ते पर होते हैं. इसके बाद उनके द्वारा आपके मोबाइल पर ओटीपी भेजी जाती है और जैसे ही आप ओटीपी शेयर करते हैं, आपके खाते से निकासी हो जाती है और आप साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं. साइबर ठग आपके बैंक स्टाफ, बिजली कर्मी, किसान सलाहकार, काॅल सेंटर कर्मी आदि अन्य नाम से फोन करते हैं. वहीं, साइबर ठग अब फेसबुक और वाट्सअप पर भी काफी सक्रिय है और महिला भी साइबर क्राइम में काफी सक्रिय हैं और वीडियो काल व फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर आपसे नजदीकी बढ़ाकर आपको साइबर ठगी का शिकार बनाती हैं. = अंजान नंबर के कॉल पर ओटीपी या आधार नंबर देने से बचें – साइबर क्राइम बहुत बड़ा अपराध है, जो जागरूकता और सतर्कता से टाला जा सकता है. इसके लिए सरकार और जिला प्रशासन को गांव स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, ताकि साइबर क्राइम का शिकार होने से लोग बच सकें. हरेंद्र कुमार पासवान, शिक्षक -ज्यादा लाभ के लालच में लोग साइबर क्राइम के शिकार होते हैं. साइबर क्राइम करने वाले लोग इतने शातिर होते हैं कि चंद सेकेंड में ही वह जमा पूंजी पर हाथ साफ कर गायब हो जाते हैं और बाद में उनका नंबर भी पहुंच के बाहर हो जाता है. इसलिए किसी को भी अपना आधार नंबर या ओटीपी की जानकारी शेयर नहीं करनी चाहिए. विकास कुमार पटेल, रणजी खिलाड़ी – मोबाइल और कंप्यूटर का अनावश्यक अत्यधिक उपयोग हमें साइबर क्राइम का शिकार होने के लिए आगे बढ़ाता है. इसलिए आवश्यकता से अधिक उपयोग किसी भी चीज के लिए हानिकारक होता है. सावधानी बरतें और सतर्क रहें. सिद्धार्थ कुमार, खिलाड़ी – साइबर ठगी के शिकार लोग का स्थानीय थाना स्तर पर भी सुनवाई हो. आज जानकारी के अभाव में साइबर क्राइम के लोग शिकार हो रहे हैं. लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है. सौरभ कुमार, युवा – वर्तमान परिवेश में साइबर क्राइम काफी जटिल समस्या बनी हुई है. साइबर ठग पासवर्ड हैक कर एकाउंट से रुपये निकासी कर लेते हैं. इससे लोगों को जागरूक होकर बचने की जरूरत है. आकाश कुमार, खिलाड़ी – ऑनलाइन प्रक्रिया में साइबर फ्राड लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. लोग फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने वाले का विश्वसनीयता को जांच कर ही एक्सेप्ट करें. मोबाइल कभी भी दूसरे के हाथों में न दें. बगैर सेव नंबर किसी अन्य काल का जवाब न देने से आप काफी हद तक साइबर क्राइम का शिकार होने से बच सकते हैं. साेनू कुमार, खिलाड़ी – ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग को साइबर ठग साॅफ्ट टार्गेट बनाते हैं. इसमें महिलाएं उनका शिकार होती हैं. इसलिए ग्रामीण स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए प्रशासनिक पहल की आवश्यकता है. रौशन सिंह, युवा
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