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बज्जिका को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

महुआ के गोविंदपुरा सिंघाड़ा दुर्गा मंदिर के समीप रविवार को साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था बज्जिका मंदाकिनी, रौदीपोखर के तत्वाधान में बज्जिका महोत्सव का आयोजन किया गया.

हाजीपुर.

महुआ के गोविंदपुरा सिंघाड़ा दुर्गा मंदिर के समीप रविवार को साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था बज्जिका मंदाकिनी, रौदीपोखर के तत्वाधान में बज्जिका महोत्सव का आयोजन किया गया. अध्यक्षता लक्ष्मी नारायण महाविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ रणवीर कुमार राजन ने की संचालन बज्जिका मंदाकिनी के सह संयोजक राघवेंद्र प्रताप ने किया. बज्जिका मंदाकिनी के संयोजक सह बज्जिका बेआर पत्रिका के संपादक मणिभूषण प्रसाद सिंह अकेला ने अतिथियों को माला और अंगवस्त्र से सम्मानित किया. लोक गायिका सरस्वती मिश्रा ने स्वागत गीत और देवी भक्ति गीत प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया. बज्जिका के मूर्द्धन्य साहित्यकार और चिंतक स्व डॉ सियाराम तिवारी की स्मृति में समर्पित इस कार्यक्रम में अतिथियों ने दिवंगत साहित्यकार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. तीन सत्र में आयोजित इस समारोह के प्रथम सत्र में बज्जिका भाषा की वर्तमान दशा और दिशा पर विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किया गया. संयोजक ने बज्जिका भाषा को आदि गणतंत्र की जननी बज्जिसंघ की मातृभाषा बताया तथा सरकारी स्तर पर इसकी उपेक्षा पर क्षोभ व्यक्त करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से बज्जिका के लिए जनगणना कोड निर्धारण, बज्जिका अकादमी गठन, प्रारंभिक स्कूलों तथा विश्वविद्याल में बज्जिका की पढ़ाई शुरू करने सहित बज्जिका को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने संबंधी अपनी पांच सूत्री मांग रखी. मुख्य अतिथि डॉ रामप्रवेश सिंह ने बज्जिका भाषा को प्राचीन भाषा की श्रेणी में शुमार करते हुए इसे बज्जिकाञचल की सभ्यता-संस्कृति का संवाहक बताया और इसके संरक्षण पर बल दिया. मुख्य वक्ता डॉ देवेंद्र राकेश ने बज्जिका को उत्तर बिहार के सात जिलों के बड़े भूभाग सहित देश-विदेश में फैले लगभग चार करोड़ लोगों की मातृभाषा बताते हुए अभी तक इसे उचित हक नहीं दिए जाने पर दुख व्यक्त किया तथा जनजागरण, सत्याग्रह और शांतिपूर्ण प्रदर्शन को इसके हक प्राप्ति के लिए जरूरी बताया. जदयू नेत्री डॉ आसमा परवीन ने बज्जिका को समृद्ध भाषा बताया तथा बज्जिकांचल वासियों की अपनी मातृभाषा संबंधी वाजिब मांग का समर्थन करते हुए अपनी पार्टी तथा सरकार को अवगत कराने की बात कही. समारोह के दूसरे सत्र में अनियत कालीन बज्जिका पत्रिका बज्जिका बेआर के दूसरे अंक का लोकार्पण सुरेन्द्र मानपुरी ने किया. इसके बाद देश-विदेश के कुल उन्नीस साहित्यकारों को उनके अतुलनीय योगदानों के लिए संस्था की ओर से अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया. नेपाल के बज्जिका कवि संजय साह मित्र को महावीर प्रसाद शर्मा ””””””””विप्लव”””””””” बज्जिका शीर्ष साहित्यकार सम्मान, शिवचंद्र साह को महापंडित राहुल सांकृत्यायन बज्जिका सिंधु सम्मान, बिंदा साहनी को हलधर दास बज्जिका शिरोमणि सम्मान, रामचंद्र महतो कुशवाहा को महाकवि घाघ बज्जिका विशारद सम्मान, किशुन दयाल श्रीकृष्ण को मांगनीराम बज्जिका भूषण सम्मान और देवेंद्र चौधरी को सिंह सेनापति बज्जिका शौर्य सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया गया.

इसके अतिरिक्त बज्जिकांचल के विभिन्न जिलों से आए साहित्यकारों में ज्वाला सांध्यपुष्प, डॉ शशिभूषण कुमार, मुकेश कुमार मृदुल, डॉ नांदेश्वर प्रसाद सिंह, हरिविलास राय, सुधांशु कुमार चक्रवर्ती, संजय विजित्वर, प्रतिभा पाराशर, दिनेश प्रसाद धुरंधर, बशिष्ठ राय वशिष्ठ, डॉ अरुण कुमार और अभिषेक शर्मा को सम्मानित किया गया. समारोह के तीसरे सत्र में अंतरराष्ट्रीय बज्जिका कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. समारोह मेंमुख्य अतिथि के रूप में पूर्व वि वि प्राध्यापक डॉ रामप्रवेश सिंह, पूर्व प्राध्यापक डॉ दामोदर प्रसाद सिंह, डॉ देवेंद्र राकेश, प्रबुद्ध साहित्यकार और पत्रकार सुरेंद्र मानपुरी, नेपाल से आए बज्जिका महाकवि संजय साह मित्र, डॉ शशिभूषण कुमार, जदयू की डॉ आसमा परवीन, स्थानीय संरक्षक अभियंता सोहन प्रसाद सिंह, ज्ञान ज्योति गुरुकुलम के अजीत कुमार आर्य और वरिष्ठ बज्जिका साहित्यकार ज्वाला सांध्यपुष्प आदि उपस्थित थे.

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