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पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर होगा जोर : प्रकाश करात

माकपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में कुल 52 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी महज चार सीट जीतने में कामयाब हुई थी, जिसमें से दो तमिलनाडु की और एक-एक सीट केरल एक राजस्थान की थी.

माकपा का 24वां पार्टी सम्मेलन दो से छह अप्रैल के बीच तमिलनाडु के मदुुरै में होगा आयोजित एजेंसियां, नयी दिल्ली/कोलकाता मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अंतरिम समन्वयक प्रकाश करात ने कहा कि अप्रैल में मदुरै में प्रस्तावित पार्टी के 24वें सम्मेलन का जोर पार्टी को मजबूत करने और उसका जनाधार बढ़ाने पर होगा. करात ने बताया कि सम्मेलन में पार्टी के शीर्ष पद यानी नये महासचिव के चुनाव पर भी विचार-विमर्श किया जायेगा. उन्होंने कहा कि पार्टी का जनाधार बढ़ाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में देश में वामपंथ का विस्तार नहीं हुआ है. करात ने कहा: माकपा का 24वां पार्टी सम्मेलन अप्रैल के पहले हफ्ते में तमिलनाडु के मदुरै में (दो से छह अप्रैल तक) आयोजित होगा. इसमें हम माकपा को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मजबूत करने और इसके राजनीतिक प्रभाव एवं जनाधार को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करेंगे. हमारा मानना है कि इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि हाल के वर्षों में देश में वामपंथ का विस्तार नहीं हुआ है. माकपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में कुल 52 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी महज चार सीट जीतने में कामयाब हुई थी, जिसमें से दो तमिलनाडु की और एक-एक सीट केरल एक राजस्थान की थी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को महज तीन सीट पर जीत हासिल हुई थी. वहीं, 2004 में जब माकपा की लोकप्रियता चरम पर थी, तब पार्टी के 43 सदस्य लोकसभा के लिए चुने गये थे और उसे लगभग 5.4 फीसदी वोट हासिल हुए थे. करात ने कहा कि वाम दलों की एकता भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर (सम्मेलन में) विचार किया जायेगा. उन्होंने कहा: हम पहले से ही इस बात पर काम कर रहे हैं कि सभी वामपंथी दलों और ताकतों को कैसे एकजुट किया जाये, ताकि हम वामपंथी मंच और वैकल्पिक नीतियों को प्रमुखता से पेश कर सकें. पार्टी के पूर्व महासचिव करात ने दावा किया कि एक मजबूत वाम मोर्चा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एक मजबूत, एकजुट विपक्ष के निर्माण में योगदान देगा. उन्होंने कहा: हमें लगता है कि एक मजबूत वाम मोर्चा भाजपा के खिलाफ मजबूत एकजुट विपक्ष बनाने में योगदान देगा, जो धर्मनिरपेक्ष दलों का गठबंधन होगा. वाम दल इस व्यापक गठबंधन के महत्वपूर्ण घटक होंगे. माकपा और अन्य दल विपक्षी गठबंधन ””इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल अलायंस (इंडिया)”” का हिस्सा हैं. माकपा की स्थापना 1964 में हुई थी और यह वामपंथी गुट का सबसे बड़ा दल है. पिछले साल तत्कालीन महासचिव सीताराम येचुरी के आकस्मिक निधन से पार्टी को बड़ा झटका लगा. करात ने कहा कि येचुरी की कमी महसूस की जा सकती है, लेकिन पार्टी के पास एक मजबूत, एकजुट नेतृत्व है. हमारी पार्टी के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पल था. हमने अपनी पार्टी के सम्मेलन की तैयारी शुरू ही की थी, जो आमतौर पर बैठक से छह महीने पहले आरंभ होती है. उनकी कमी निश्चित रूप से गहराई से महसूस की जाती है. लेकिन पार्टी के पास एक मजबूत, एकजुट नेतृत्व है. सम्मेलन में पार्टी एक नयी केंद्रीय समिति, नया पोलित ब्यूरो और नया महासचिव का चुनाव करेगी. इसकी तैयारियों के तहत पार्टी राज्य स्तर पर कई बैठकें कर रही है. पार्टी सम्मेलन के लिए राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा के वास्ते कोलकाता में आयोजित केंद्रीय समिति की तीन-दिवसीय बैठक रविवार को संपन्न हुई. माकपा में केंद्रीय समिति के बाद पोलित ब्यूरो दूसरी सबसे शक्तिशाली इकाई है.

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