23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अंग्रेजों से लड़ने के लिए गढ़वाल से गुमला आ गए थे गंगाजी महाराज

Ganga Ji Maharaj Garhwal To Gumla: अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति करने वाले कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना राज्य छोड़कर दूसरे राज्य में काम करना शुरू कर दिया था. ऐसे ही एक स्वतंत्रता सेनानी थे गंगाजी महाराज. वह गढ़वाल से गुमला में आकर रहने लगे. आज भी उनकी बेटी अपने बच्चों के साथ यहीं रहतीं हैं.

Ganga Ji Maharaj: अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पूरे देश के लोग आंदोलन कर रहे थे. कुछ क्रांतिकारी अंग्रेजों से बचने के लिए अपना घर छोड़कर अन्य राज्यों में जाकर आंदोलन करने लगे. ऐसे ही एक आंदोलनकारी थे गंगाजी महाराज. उत्तर प्रदेश के गढ़वाल (अब उत्तराखंड में) के रहने वाले गंगाज महाराज भी ऐसे ही क्रांतिकारी थे. अंग्रेजों से बचने के लिए वह गढ़वाल से गुमला आ गए. यहीं रहकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया. कई बार जेल गए. अंग्रेजों की लाठियां भी खाईं. आज उनका परिवार गुमनामी की जिंदगी जा रहा है. हालांकि, गुमला प्रखंड कार्यालय परिसर में जो अशोक स्तंभ बना हुआ है, उस पर जिले के जिन तीन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम दर्ज हैं. उनमें एक गंगाजी महाराज का भी नाम है. स्वतंत्रता सेनानी गंगाजी महाराज ने देश की आजादी के लिए आंदोलन किया. जेल गये और अंग्रेजों की लाठियां भी खायी. आज उनका परिवार गुमनामी का जीवन जी रहा है.

गुमला में रहतीं हैं गंगाजी महाराज की बेटी सीता देवी

उनकी बेटी सीता देवी गुमला में रहतीं हैं. वह कहती हैं कि उनके पिता गंगाजी महाराज गढ़वाल के रहने वाले थे. वह स्वतंत्रता सेनानी थे. अपने कुछ साथियों के साथ उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. इसके बाद अंग्रेज उन्हें पकड़ने के लिए खोजने लगे. अंग्रेजों से बचने के लिए आजादी से 2 साल पहले वर्ष 1945 में वह गढ़वाल से गुमला आ गये. उस समय गुमला जंगली इलाका था. बहुत कम घर थे.

गुमला के कांसीर गांव में बस गये थे गंगाजी महाराज

गंगाजी महाराज गुमला के रायडीह प्रखंड स्थित कांसीर गांव में बस गये. वह कांसीर गांव के जंगलों के बीच छिपकर रहने लगे और अंग्रेजों के खिलाफ काम करने लगे. अंग्रेज गुमला तक पहुंचे थे, लेकिन गंगाजी महाराज को पकड़ नहीं पाये. अभी जो काली मंदिर के समीप से गुजरने वाली नदी पर पुल है, उस समय नहीं था. नदी पार करके लोग आते-जाते थे.

इसे भी पढ़ें : काम करने लगा मंईयां सम्मान का पोर्टल, महिलाओं के खाते में फिर आएंगे 2500 रुपए, जानें कब

इसे भी पढ़ें : अमित शाह के खिलाफ टिप्पणी मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, झारखंड सरकार को नोटिस

इसे भी पढ़ें : झारखंड में ट्रैफिक पुलिस का कारनामा, कार मालिक को भेज दिया बिना हेलमेट गाड़ी चलाने का चालान

35 किलोमीटर पैदल चलकर हर दिन गुमला आते थे गंगाजी

गंगा जी महाराज अपने कुछ साथियों के साथ कांसीर से गुमला तक 35 किलोमीटर पैदल चलकर हर रोज आते थे और नदी के किनारे पूजा-पाठ करते थे. यहां अंग्रेजों के खिलाफ बैठक होती थी और आंदोलन की रणनीति बनती थी. गंगाजी महाराज नदी के किनारे पूजा-पाठ करने लगे. बाद में इसी स्थल पर काली मंदिर बना, जो आज सिद्ध पीठ के रूप में जाना जाता है.

झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

काली मंदिर के बगल में है गंगाजी महाराज का समाधि स्थल

सीता देवी गंगा जी महाराज की इकलौती बेटी हैं. वह काली मंदिर की मुख्य पुजारिन हैं. सीता देवी के बच्चे भी हैं. परिवार के अनुसार, जब तक गंगाजी महाराज जीवित थे, उन्हें पेंशन मिलती रही. आजादी की लड़ाई में अहम योगदान के लिए उनके परिवार को ताम्रपत्र मिला. गंगाजी महाराज का निधन 4 अक्तूबर 1985 को हो गया. उनका समाधि स्थल गुमला शहर के जशपुर रोड स्थित काली मंदिर के बगल में है. उनके निधन के बाद उनके परिवार की आय का स्रोत पेंशन भी बंद हो गई.

इसे भी पढ़ें

IAS अफसर के 1 बेटे का 6 साल में 3 बार 3 जगह हुआ जन्म, ऐसे हुआ खुलासा, यहां देखें दस्तावेज

अंग्रेजों की नाक में दम कर देने वाले सुखेंदु शेखर मिश्रा ने कभी सरकारी सुविधा का नहीं लिया लाभ

स्वतंत्रता सेनानी और भूदान आंदोलन के प्रणेता ‘गुमला गौरव’ राम प्रसाद की प्रतिमा तक न लगी

Aaj Ka Mausam: झारखंड में घट रहा न्यूनतम तापमान, बढ़ रहा अधिकतम पारा, आज कैसा रहेगा मौसम

20 जनवरी 2025 को 14 किलो का गैस सिलेंडर आपको कितने में मिलेगा, यहां देखें कीमत

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें