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Success Story: कैप्टन संध्या महला बनीं भारतीय सेना की नाज, महिला टुकड़ियों की संभाली कमान

Success Story: 27 वर्षीय कैप्टन संध्या महला ने आर्मी डे पर महिला सैन्य टुकड़ियों की परेड का नेतृत्व कर इतिहास रच दिया. यह पहली बार है जब सेना दिवस परेड में दो महिला टुकड़ियों की कमान किसी महिला अफसर ने संभाली है, जानें उनकी सफलता की कहानी.

Success Story: कभी पुरुषों के वर्चस्व वाले सैन्य क्षेत्र में आज महिलाओं की दमदार भागीदारी से न केवल सशस्त्र बलों को और मजबूती मिली है, बल्कि महिला जवान हर मोर्चे पर अपने अदम्य साहस और नेतृत्व के दम पर अपनी धाक जमा रही हैं. साथ ही एक से बढ़कर एक नये-नये कीर्तिमान गढ़ रही हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है 27 वर्षीया कैप्टन संध्या महला ने. कैप्टन संध्या ने हाल ही में आर्मी डे पर महिला सैन्य टुकड़ियों की परेड का नेतृत्व कर इतिहास रच डाला है. यह पहली बार है, जब सेना दिवस परेड में दो महिला टुकड़ियों की कमान किसी महिला अफसर ने संभाली है. हाल ही में सेना दिवस पर महाराष्ट्र स्थित पुणे के बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप (बीइजी) में आयोजित परेड में महिला सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व कर कैप्टन संध्या महला ने इतिहास रच डाला है. भारतीय सेना के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सेना दिवस परेड में दो महिला टुकड़ियों की कमान संभालने की जिम्मेवारी किसी महिला अफसर को मिली है. इस बार उन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं की ताकत और क्षमता का प्रदर्शन करते हुए महिला अग्निवीर टुकड़ी का नेतृत्व किया. इसमें मद्रास रेजिमेंट, मराठा लाइट इन्फैंट्री, रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी, बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप और आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स की महिला जवान शामिल थीं. रोजाना चार घंटे तक कठिन प्रशिक्षण के बाद आखिरकार उन्होंने वह कर दिखाया, जो आज तक कोई महिला अधिकारी नहीं कर पायी थी. इसी के साथ वह उन युवाओं के लिए प्रेरणा बन गयी हैं, जो भारतीय सेना का हिस्सा बनकर देश सेवा का सपना देखते हैं.

पिता से मिली सेना में अफसर बनने की प्रेरणा

कैप्टन संध्या महला मूलरूप से राजस्थान के झुंझुनूं जिले के मुरोत का बास गांव की रहने वाली हैं. उनके पिता का नाम सूबेदार कुरडाराम महला है, जबकि उनकी माता का नाम विनोद देवी है. संध्या के पिता भारतीय सेना में एक समर्पित योद्धा रह चुके हैं. उन्होंने करीब 38 वर्षों तक देश की सेवा की है. कैप्टन संध्या महला के मन में रक्षा बलों में सेवा करने की इच्छा उनके पिता सूबेदार कुरडाराम महला ने ही छोटी उम्र में जगा दी थी. संध्या ने अपनी स्कूली पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल जलांधर से पूरी की, जहां से उन्होंने  10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की. इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज से बीएससी केमेस्ट्री ऑनर्स की डिग्री हासिल की. फिर उन्होंने गुरु नानक देव विवि, अमृतसर से केमेस्ट्री में मास्टर की डिग्री हासिल की. कैप्टन संध्या की उपलब्धियां भारतीय सेना में महिलाओं की उभरती भूमिका का प्रतीक हैं. महिला दस्ते की कमान संभालने में उनका नेतृत्व सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता और सशक्तीकरण के बारे में एक मजबूत संदेश देता है. 15 जनवरी को महिला अग्निवीर टुकड़ी का नेतृत्व कर कैप्टन संध्या न केवल इतिहास रच डाला, बल्कि कई चुनौतियों के बावजूद महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित भी करेंगी. उनकी कहानी सपने देखने वालों के लिए असीम संभावनाओं का प्रमाण है.

कई असफलताओं के बाद 2021 में मिला कमीशन

सेना में अधिकारी बनने के लिए संध्या ने ग्रेजुएशन के दौरान ही कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (सीडीएस) की तैयारी शुरू कर दी. इस दौरान उन्हें काफी असफलताओं का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार अपने सपनों को साकार करने लगी रहीं. भारतीय सेना में शामिल होने का उनका सफर काफी उतार-चढ़ाव और चुनौतियों से भरा रहा है. साल 2018 में उन्होंने पहली बार सीडीएस जैसी कठिन परीक्षा पास कर अपना पहला एसएसबी इंटरव्यू पास किया, लेकिन मेरिट लिस्ट में वह जगह नहीं बना सकीं. इसके बाद लगातार आठ एसएसबी क्लियर करने के बावजूद उनका फाइनल सिलेक्शन नहीं हो सका. इन असफलताओं के बावजूद उन्होंने अपना हौसला नहीं छोड़ा और सेना में लेफ्टिनेंट बनने के लिए लगातार कोशिश में जुटी रहीं. यह कैप्टन संध्या महला के धैर्य का पुख्ता प्रमाण है.  “कभी हार न मानना” उनके लिए सिर्फ एक मंत्र नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका था, क्योंकि उन्होंने चुनौतियों का सामना शालीनता और दृढ़ता के साथ किया. आखिरकार, दिसंबर 2021 में वह चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में अपनी जगह बनाने में सफल रहीं.

गणतंत्र दिवस परेड में सेना की तीनों विंग का कर चुकी हैं नेतृत्व

आश्चर्य की बात है कि महज दो साल के सैन्य करियर में कैप्टन संध्या महला इससे पहले भी कई उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं. पिछले साल उन्होंने कर्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस परेड में 148 सदस्यीय महिला दस्ते का नेतृत्व किया. इसमें सेना के तीनों विंग-आर्मी, नेवी और एयर फोर्स के संयुक्त महिला दस्ते की टीम शामिल थी. वह तीनों सेनाओं की टुकड़ी को लीड करने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं. सेना में आने से पहले संध्या एनसीसी की सक्रिय कैडेट भी रह चुकी हैं. एनसीसी कैडेट के रूप में उन्हें गणतंत्र दिवस परेड में कई बार हिस्सा लेने का मौका मिला है. पहली बार उन्होंने साल 2017 में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की 18 वर्षीया सदस्य के रूप में गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया था. वहीं, उससे पहले साल 2011 में 12 वर्षीया एनसीसी कैडेट के रूप में भाग लिया था. अपनी उपलब्धि पर संध्या कहती हैं, कम समय में एक प्रतिभागी से लेकर सैन्य दस्ता की नेता तक का सफर तय करना एक गर्व का क्षण था. मैंने काम के प्रति सच्चे रहने और अपने कर्तव्यों को पूरी लगन से निभाने में विश्वास किया है.

रिपोर्ट: देवेंद्र कुमार

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