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Bettiah Raj: खुल गया बेतिया राज के 200 करोड़ के आभूषणों के राज, पटना और प्रयागराज के बैंकों में है राजा का खजाना

Bettiah Raj News: बेतिया राज की संपत्तियों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. जांच के दौरान जब अभिलेखागार के संचिकाओं को खंगालने का काम हुआ तो पता चला कि कहां-कहां राजा का खजाना है.

Bettiah Raj News: बेतिया राज (कोर्ट ऑफ वार्डस के अधीन) की परिसपंतियों के बिहार सरकार में समाहित होने के बाद सरकारी अमलों में बेतिया राज की भूमि की खोज शुरु की है. भूमि खोज के दौरान जब बेतिया राज के अभिलेखागार में रखे गये अभिलेखों को खंगालने का काम किया गया तो वहां से अन्य कई सौ एकड़ भूमि का पता चला. जिसकी सूची बनाकर राज प्रबंधक ने विशेष सर्वे कार्यालय में जमा करा दिया है. बेतिया राज प्रबंधक के प्रभार में मौजूद अधिकारी अनिल कुमार सिंहा ने जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय के माध्यम से विशेष बंदोबस्त पदाधिकारी को भेजे गये पत्र में सामने आये नये जमीनों को भी सर्वे में बेतिया राज के नाम पर दर्ज करने की बात कही है. इधर बेतिया राज के शीशमहल में रखे गये कई ऐतिहासिक धरोहरों को आमजन के दर्शनार्थ भितिहरवा स्थित संग्रहालय को सौंप दिया गया. अब जब अभिलेखागार के संचिकाओं को खंगालने का काम हुआ तो एक चौकानेवाला तथ्य सामने आया.

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बक्सों को खोलने का काम शुरू

बेतिया राज के अभिलेखागार में मौजूद अभिलेख में यह दर्शाया गया है कि बेतिया महारानी जानकी कुंअर के जीवन काल में हीं वर्ष 1939 में कई महत्वपूर्ण हीरे मोती स्वर्णाभूषण एवं अन्य जवाहरात तत्कालीन राज प्रबंधक ने उस समय के इंपीरियल बैंक पटना एवं इंपीरियल बैंक इलाहाबाद के ब्रांच में धरोहर के रुप में सुरक्षित रखवा दिया था. इन आभूषणों एवं कीमती सामानों में मोतियों की माला, नवरत्न नेकलेस, स्वर्ण जड़ित पलंग, सोने का चंद्रहार आदि शामिल हैं. बेतिया राज के अभिलेखागार में प्राप्त अभिलेखों के मिलने के बाद राजस्व बोर्ड ने भी इलाहाबाद के भारतीय स्टेट बैंक प्रयागराज के रिजनल मैनेजर एवं पटना के एसबीआई के डिप्टी जेनरल मैनेजर को पत्र भेजकर इन जवाहरातों की खोज करने की बात कही है. अब बैंक की ओर से इन बक्सों को खोलने का काम आंरभ किया गया है.

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1939 में बैंक में रखते समय जौहरी से कराई गई थी पहचान

अभिलेखों के अनुसार उस समय मुंबई के एक जौहरी ने इलाहाबाद एवं पटना के इंपीरियल बैंक (अब भारतीय स्टेट बैंक) की शाखा में रखे गये जवाहारातों का अनुमानित कीमत वर्ष 1939 में करीब 7 लाख 30 हजार 85 रुपये लगाया था. इसमें इलाहाबाद अब प्रयागराज ब्रांच में रखे गये आभूषणों की कीमत 5 लाख 21 हजार 102 एवं पटना में रखे गये आभूषणों की कीमत 2 लाख 8 हजार 983 रुपये है. उस समय उसने सोने के आभूषणों की कीमत 40 रुपये प्रति तोला, चांदी की कीमत 8 रुपये प्रति तोला लगायी थी. जौहरी की ओर से हीरा जड़ित घड़ी की कीमत उस समय 51 हजार रुपये लगायी गयी थी, जो बैंकों में रखा गया है.

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