प्रतिनिधि, मधेपुरा पार्वती विज्ञान महाविद्यालय मधेपुरा के भूगोल विभाग के स्नातकोत्तर सत्र 2024-26 के छात्र-छात्राओं द्वारा सोमवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति: चुनौतियां व समाधान विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न प्रतिभागियों व संसाधन विशेषज्ञों ने विचार प्रस्तुत किये. सेमिनार की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य प्रो अशोक कुमार ने की. प्राचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव व आधुनिक समय के अनुरूप अद्यतन करने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस किया जा रहा था. छात्रों के ज्ञानात्मक व बौद्धिक क्षमता का समग्र विकास, आधुनिक शिक्षण सामग्रियों का प्रयोग, छात्रों के लिए विषयों के चयन की आजादी, व्यवहारिक व रोजगारोन्मुख शिक्षा व प्रशिक्षण इस नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रासांगिक बनाती है. विभागाध्यक्ष डाॅ राजेश कुमार सिंह ने भारत में शिक्षा नीति के अनुक्रमिक विकास, बदलाव व कई अन्य विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारत की परंपरागत शिक्षा नीति की सराहना विभिन्न प्रतिवेदनों व समितियों द्वारा समर्पित रिपोर्टों में की गयी है. मैकाले ने हमारे परंपरागत विशेषताओं को क्षीण-विच्छिन्न करने का काम किया और भारत को अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली पर अवलंबित कर दिया. नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मैकाले की शिक्षा नीति के अंत करने के विकल्प के उद्देश्य से लाया गया है. समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डाॅ अक्षय कुमार चौधरी ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जहां शिक्षक छात्र के बीच नियमित संपर्क व शिक्षण अधिगम व मूल्यांकन में सतत अंतर्क्रिया पद्धति पर बल दिया गया है. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक शिक्षण सामग्रियों व इंटरनेट शिक्षा प्रणाली के अधिकतम प्रयोग लाकर हमारे छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मानक के उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्र-छात्राओं के साथ चलने के योग्य बना रहा है. मुख्य वक्ता प्रो अजय अंकोला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तार से चर्चा की व उसके चुनौतियों में समस्याओं के बारे में बतलाया. उन्होंने कहा की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपने जिस आधार स्तंभ पर खड़ा है, वह पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य व जवाबदेही है. यह शिक्षा नीति अपने आदर्श वाक्य शिक्षित करें, प्रोत्साहित करें और प्रबुद्ध करें पर आधारित है. इसका उद्देश्य समग्र विकास व आजीवन सीखने को बढ़ावा देकर भारत के शिक्षा प्रणाली को बदलना है. संगोष्ठी में डाॅ राजेश अनुपम ने विचार प्रकट किया. प्रतिभागियों के शोध पत्र के निर्णायक के रूप में डाॅ सुजीत कुमार, डाॅ धनंजय कुमार, डाॅ रामप्रकाश कुमार, डाॅ चंद्रदेव ठाकुर व प्रो राज्यश्री कुमारी थी.
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