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Delhi Election 2025: मुफ्त के वादों पर चुनाव जीतने की फिराक में सभी दल

एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में दिल्ली सरकार के बिजली, पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा के कारण सालाना 11 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है. चुनाव में किए गए वादों के आधार पर अगर किसी दल को दिल्ली की सत्ता मिलती है तो महिलाओं के सम्मान योजना के लिए ही हर साल लगभग 20-25 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.

Delhi Election 2025: दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच मुफ्त के वादों की घोषणा करने की होड़ मच गयी है. आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा मतदाताओं को साधने के लिए कई तरह के वादे किए है. आम आदमी पार्टी पहले ही दिल्ली के लोगों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, 20 हजार लीटर पानी और महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान कर रही है. अब पार्टी ने चुनाव जीतने पर महिलाओं को 2100 रुपये प्रतिमाह देने, बुजुर्गों को सरकारी और निजी अस्पताल में मुफ्त चिकित्सा मुहैया कराने के अलावा कई तरह के वादे किए है. वादों की फेहरिस्त हर पार्टी की लंबी होती जा रही है. अब ताे आम आदमी पार्टी ने किरायेदारों के लिये भी फ्री बिजली की घोषणा कर दी है.

लोकलुभावन वादों में कोई भी दल पीछे नहीं

आम आदमी पार्टी के वादों की काट के लिए कांग्रेस और भाजपा ने महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपये देने के साथ कांग्रेस ने 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया है. माना जा रहा है कि दिल्ली में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच होगा. भाजपा ने आम आदमी के मुफ्त के वादों की काट के लिए गैस सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी देने, साल में होली और दिवाली पर मुफ्त सिलेंडर का वादा कर गरीब मतदाताओं को साधने की कोशिश की है. साथ ही भाजपा ने कहा है कि दिल्ली सरकार की चल रही जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद नहीं किया जायेगा.

देखा गया है कि चुनाव में मुफ्त वादों का लाभ राजनीतिक पार्टियों को मिला है. वर्ष 2015 और वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में मुफ्त की योजनाओं के कारण आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिल चुकी है. इसलिए इस बार भाजपा ने आम आदमी पार्टी को टक्कर देने के लिए कई तरह के लोकलुभावन वादे किए है. लेकिन देखने वाली बात होगी कि जनता किस दल के लोकलुभावन वादों पर भरोसा करती है. 



मुफ्त के वादों का वित्तीय सेहत पर असर

एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में दिल्ली सरकार के बिजली, पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा के कारण सालाना 11 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है. चुनाव में किए गए वादों के आधार पर अगर किसी दल को दिल्ली की सत्ता मिलती है तो महिलाओं के सम्मान योजना के लिए ही हर साल लगभग 20-25 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. दिल्ली राज्य बनने के बाद से ही घाटे में नहीं रहा है. लेकिन जीतने वाली पार्टियों के वादों को अमल में लाने पर अन्य राज्यों की तरह दिल्ली की वित्तीय स्थिति कर्ज में डूब सकती है. देखा गया है कि मुफ्त के वादों को लागू करने में राज्यों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

आम लोगों पर बोझ बनता मुफ्त के वादे


कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों की वित्तीय स्थिति मुफ्त के वादों को पूरा करने के कारण खराब होती जा रही है. विकास के योजनाओं पर काम नहीं हो पा रहा है और सरकार संसाधन जुटाने के लिए आम लोगों पर बोझ डाल रही है. लेकिन चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दल राज्य की वित्तीय स्थिति का ख्याल किए बिना पूरा नहीं हो सकने वाले वादे कर रहे हैं. इसकी शुरुआत वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल से शुरू हुई.

ममता बनर्जी ने महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने के लिए योजना शुरू की. इसका चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को जबरदस्त लाभ भी मिला. इस योजना से सबक लेते हुए कांग्रेस ने वर्ष 2022 के हिमाचल प्रदेश चुनाव में महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा किया और पार्टी चुनाव जीत गयी. फिर वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश में योजना शुरू की गयी. बाद में कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड में इस योजना के जरिए पार्टियों ने चुनाव जीता. 

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