Kho-Kho World Cup : रविवार को नयी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में खेले गये खो-खो विश्व कप के फाइनल में, महिला-पुरुष दोनों वर्गों का खिताब जीत भारत ने इतिहास रच दिया. दिलचस्प यह भी है कि दोनों ही वर्गों में भारत ने नेपाल को हरा यह उपलब्धि हासिल की है. भारत की पुरुष टीम ने जहां 54-36 से विपक्षी टीम को हराया, वहीं भारतीय महिलाओं ने 78-40 के बड़े अंतर से नेपाल पर जीत दर्ज की.
यह खो-खो विश्व कप का पहला संस्करण था जिसे भारतीय ओलिंपिक संघ (आइओए) ने समर्थन दिया था. यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि भारतीय टीम पूरे टूर्नामेंट में अपराजित रही. भारतीय खेलों के इतिहास में ऐसी उपलब्धि बहुत कम दर्ज हुई है, जब एक ही टूर्नामेंट में पुरुष व महिला, दोनों ही टीमें विश्व चैंपियन बनी हों, वह भी महज एक ही दिन में. विदित हो कि खो-खो जो कभी एक देसी खेल हुआ करता था, अब बड़े फलक पर जाने को तैयार है और इसके पीछे सरकार का समर्थन है. सरकार इस खेल को प्रोत्साहित करती रही है. वर्तमान सरकार की मंशा मिट्टी से जुड़े इस ग्रामीण खेल को एशियाई खेलों के साथ ही 2036 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक में भी शामिल कराने की है.
असल में वर्तमान सरकार चाहती है कि 2036 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों की मेजबानी भारत करे. वर्तमान में खो-खो को न केवल केंद्र सरकार, बल्कि तीन राज्य सरकारों- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा सरकार का भी समर्थन मिल रहा है. खो-खो विश्व कप के दो दर्जन प्रायोजकों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा भी शामिल हैं. अंतरराष्ट्रीय खो-खो फेडरेशन (आइकेकेएफ) और भारतीय खो-खो महासंघ (केकेएफआइ), दोनों खेस संघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल का कहना है कि ओलिंपिक में खो-खो को शामिल करवाना उनका उद्देश्य है.
वे एशियाई खेलों में भी इसके शामिल होने को लेकर आश्वस्त हैं. खो-खो उन छह खेलों में से एक है, जिसे मिशन ओलिंपिक सेल, ट्वेंटी-20 क्रिकेट, कबड्डी, शतरंज और स्क्वैश को 2036 ओलिंपिक में शामिल करने की सिफारिश करेगा. बीते सप्ताह खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी एशिया की ओलिंपिक परिषद में एशियाई खेलों में खो-खो को शामिल करने का प्रस्ताव रखा. खेलों में भारत के बेहतर होते प्रदर्शन को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि खो-खो जल्द ही एक वैश्विक खेल के रूप में पहचाना जायेगा.