संवैधानिक मूल्यों को सशक्त बनाये रखने में संसद एवं राज्य विधान मंडलों के योगदान पर पीठासीन अधिकारियों ने की चर्चा संवाददाता,पटना 85वें पीठासीन अखिल भारतीय अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के बाद बिहार विधानसभा वेश्म में पीठासीन अधिकारियों ने ‘संविधान की 75 वीं वर्षगांठ : संवैधानिक मूल्यों को सशक्त बनाये रखने में संसद एवं राज्य विधान मंडलों का योगदान’ विषय पर विमर्श किया.राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों ने इस विषय पर अपनी-अपनी बातें रखीं.किसी ने विधायिका में आ रही गिरावट पर चिंता जतायी, तो किसी ने संसदीय प्रणाली को मजबूत बनाने पर जोर दिया. विधायकों के लिए अनुशासन जरूरी: रमन सिंह छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि विधायकों के लिए भी अनुशासन होना जरूरी है. छत्तीसगढ़ विधानसभा में बेल में आने वाले विधायक,उस दिन के लिए स्वत:निलंबित हो जाते हैं. इसका असर उनके वेतन और भत्ता पर भी पड़ता है.इसके लिए विधानसभा की अनुशासन समिति कार्य करती है. इस कारण से सत्र के दौरान विषयों पर बेहतर चर्चा होती है. संसदीय परंपरा में गिरावट के कारण कोर्ट की दखलअंदाजी बढ़ी :सतीश महाना उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विधायिका के स्तर पर में आ रही गिरवाट पर चिंता जतायी .कहा कि यही कारण है कि विधायिका के कार्यों में हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप् बढ़ रहा है, जबकि संविधान ने विधायिका को सर्वोपरि माना है. संविधान की धारा-164(2) में इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया है. विधायिका के केंद्र में आम आदमी होना चाहिए : बिमान बनर्जी पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कहा कि विधायिका के केंद्र में आम आदमी होना चाहिए.विधायकों को इस दायित्व का निर्वहन करने में अध्यक्ष और विधानसभा को मदद करनी चाहिए.उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल द्वारा जब एक आम मरीजों का शोषण किया जाता है तो एक विधायक महज मूकदर्शक बन कर रह जाता है.इस स्थिति में एक विधायक आमलोगों का मदद कैसे कर सकता है.
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