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एक वार्मर में दो से तीन नवजातों को भर्ती कर किया जा रहा इलाज

सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में रेडिएंट वार्मर की कमी के कारण एक वार्मर में दो से तीन नवजात को भर्ती कर इलाज किया जाता है.

मधुबनी . सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में रेडिएंट वार्मर की कमी के कारण एक वार्मर में दो से तीन नवजात को भर्ती कर इलाज किया जाता है. जबकि मानक के अनुरूप एक वार्मर में एक ही बच्चे को भर्ती कर इलाज किया जाना है. रेडिएंट वार्मर की कमी एवं परिजनों दबाव के कारण एक वार्मर में दो से तीन नवजातों को भर्ती कर इलाज करने के लिए चिकित्सक व कर्मी में मजबूर हैं. आंकड़े पर गौर करें तो जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक 1132 नवजातों को भर्ती कर इलाज किया गया. इसमें 70 नवजातों की मौत हुई. विदित हो कि जिले में शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए सदर अस्पताल में 16 रेडिएंट वार्मर क्षमता का एसएनसीयू की स्थापना की गई है. ताकि समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे, बर्थ एक्सफ्किसिया, लो बर्थ बेबी सहित अन्य गंभीर रोग से ग्रसित नवजात का बेहतर इलाज कर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके. लेकिन विडंबना यह है कि एसएनसीयू के एक वारमर में दो से तीन बच्चों को रख कर इलाज किया जाता है. इससे नवजातों के संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. हालांकि प्रशिक्षित जीएनएम की देखभाल के कारण इसे नियंत्रित किया जाता है. सोमवार को एसएनसीयू के 16 रेडिएंट वारमर में 20 से अधिक नवजातों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था. जिसके कारण बच्चों के संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ जाता है. एक वर्ष में 1132 नवजात शिशुओं का हुआ इलाज सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक 1132 नवजात शिशुओं का इलाज किया गया. इसमें 718 बालक एवं 414 बालिका शामिल रहा. इसमें जनवरी में 77 इसमें 54 बच्चा तथा 23 बच्ची, फरवरी में 69 इसमें 40 बच्चा एवं 29 बच्ची, मार्च में 82 इसमें 54 बच्चे एवं 28 बच्ची, अप्रैल 101 इसमें 61 बच्चे तथा 40 बच्ची, मई 69 इसमें 51 बच्चे एवं 18 बच्ची, जून 71 इसमें 51 बच्चे तथा 20 बच्ची, जुलाई 116 इसमें 73 बच्चे तथा 43 बच्ची, अगस्त 121 इसमें 72 बच्चे तथा 49 बच्ची, सितंबर 131 इसमें 90 बच्चे तथ 40 बच्ची, अक्टूबर 121 इसमें 73 बच्चे तथा 48 बच्ची, नवंबर 94 इसमें 56 बच्चे तथा 38 बच्ची तथा दिसंबर में 70 इसमें 36 बच्चे तथा 34 बच्ची शामिल रहे. क्या कहते हैं अधिकारी एसएनसीयू के नोडल पदाधिकारी शिशु रोग विशेषज्ञ डा. विवेकानंद पाल ने कहा कि एसएनसीयू में दवा की किल्लत नहीं है. सीपैप क्रियाशील है. वेंटीलेटर इंस्टॉल किया गया है. लेकिन क्रियाशील नहीं है. इसके लिए किसी चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित नहीं किया गया है. ऐसे में वेंटीलेटर की आवश्यकता वाले गंभीर मरीजों को रेफर किया जाता है. उन्होंने कहा कि एसएनसीयू में रेडिएंट वारमर की कमी से इंकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे नवजात को किया जाता भर्ती 1800 ग्राम या इससे कम वजन के नवजात गर्भावस्था के 34 सप्ताह से पूर्व जन्में बच्चे जन्म के समय गंभीर रोग से पीड़ित नवजात( जौंडिस या कोई अन्य गंभीर रोग) जन्म के समय नवजात को गंभीर श्वसन समस्या( बर्थ एक्सफिक्सिया) हाइपोथर्मिया नवजात में रक्तस्राव का होना जन्म से ही नवजात को कोई डिफेक्ट होना

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