Saif Ali Khan: बॉलीवुड के एक्टर और मंसूर अली खान की पटौदी रियासत के इकलौता वारिस सैफ अली खान को एक और झटका लगने वाला है. भोपाल में उनकी करीब 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति को सरकार जब्त कर सकती है. टीवी9 भारत और जी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल में पटौदी रियासत की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति विवाद पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश को समाप्त कर दिया है. भोपाल रियासत की ऐतिहासिक संपत्तियों पर साल 2015 से स्थगन आदेश लगा हुआ था, अब समाप्त हो गया है. इससे सैफ अली खान के परिवार की लगभग 15,000 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत सरकारी कब्जे में आ सकती है.
सैफ अली खान के पास डिवीजन बेंच में चुनौती देने का विकल्प
जी न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भोपाल में ऐतिहासिक रियासतों की संपत्तियों पर 2015 से रोक लगी हुई थी. हाईकोर्ट ने पटौदी परिवार को अपीलीय प्राधिकरण में अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया था, लेकिन पटौदी परिवार ने दिए गए समय में अपना पक्ष नहीं रखा. अब परिवार के पास आदेश को डिवीजन बेंच में चुनौती देने का विकल्प है.
भोपाल में कोहेफिजा से चिकलोद तक फैली सैफ की संपत्ति
रिपोर्ट में कहा गया है कि पटौदी परिवार की यह संपत्ति भोपाल के कोहेफिजा से चिकलोद तक फैली हुई है, जिसमें लगभग 100 एकड़ जमीन शामिल है. यहां वर्तमान में डेढ़ लाख लोग निवास करते हैं. 2015 में पटौदी परिवार ने इन संपत्तियों पर अपने अधिकार के लिए एक याचिका दायर की थी. नतीजतन, हाईकोर्ट ने इस पर स्थगन आदेश जारी कर दिया था. अब इस स्थगन के हटने के बाद सरकार इन संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है.
नवाब हमीदुल्ला खान की मौत के बाद शुरू हुआ विवाद
रिपोर्ट में कहा गया है कि संपत्ति का यह विवाद नवाब हमीदुल्ला खान की मृत्यु के बाद शुरू हुआ. उनकी तीन बेटियां थीं. उनकी सबसे छोटी बेटी साजिदा सुल्तान सैफ अली खान की दादी थीं. साजिदा सुल्तान की मौत के बाद यह विवाद शुरू हुआ. भोपाल के इस ऐतिहासिक संपत्ति का असली वारिस नवाब हमीदुल्ला खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान को माना गया था, लेकिन वे भोपाल छोड़कर पाकिस्तान चली गईं, जिसके चलते यह संपत्ति शत्रु संपत्ति के दायरे में आ गई.
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सरकार कर सकती है ऐतिहासिक संपत्ति पर कब्जा
अगर सैफ अली खान के परिवार की ओर से हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी जाती है, तो इस ऐतिहासिक संपत्ति पर सरकार अपना कब्जा कर सकती है. सरकारी कब्जे की प्रक्रिया के तहत इन संपत्तियों को राज्य के स्वामित्व में लाया जाएगा, जिससे पटौदी परिवार का इन पर स्वामित्व समाप्त हो सकता है. यह कदम संपत्ति के कानूनी विवादों को समाप्त करने और सार्वजनिक हित में इनका उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है.
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