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जलवायु परिवर्तन के लिये गन्ना उत्पादन बेहतर विकल्प: डॉ. अमरेश

बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत गन्ना उत्पादन, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन विषय पर चल रहे सात दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ.

पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित ईंख अनुसंधान संस्थान के सभागार में बिहार राज्य गुड़ उद्योग प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत गन्ना उत्पादन, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन विषय पर चल रहे सात दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ. इस अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया. अध्यक्षता करते हुए आधार विज्ञान एवं मानविकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ. अमरेश चंद्रा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की दौर में गन्ना उत्पादन किसानों के लिये बेहतर विकल्प है. प्रशिक्षण में प्राप्त तकनीकी ज्ञान को दैनिक जीवन में उतारने की जरूरत है. सभी प्रतिभागी शुगर केन के एंबेस्डर के रूप में कार्य करेंगे. गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में भारत संपूर्ण विश्व में प्रथम स्थान पर है. फिलहाल 25 मिलियन मैट्रिक टन गन्ना उत्पादन हो रहा है. गन्ना का उत्पादन 84 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन संभव हो रहा है. भूमि में जाने वाली कार्बन से भी किसान लाभान्वित होते हैं. गन्ने के साथ अंतर्वर्ती फसलों का चयन करने एवं वैज्ञानिकी विधि अपनाने की जरूरत है. देश के प्रत्येक शुगर मिल में एक टिश्यू कल्चर लैब एवं बायो कंट्रोल यूनिट निश्चित रूप से लगाए जाते हैं. गन्ना के सभी पार्ट्स बहुउपयोगी होते हैं. बेहतर उत्पादन के दृष्टिकोण से बिहार में चीनी मिल की भारी कमी है. बिहार सरकार भी इस दिशा में क्रियाशील है. मिलों की संख्या बढ़ाने की दिशा में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार कार्य कर रही है. बहुत ही जल्द परिणाम गन्ना उत्पादक किसानों के सामने होगा. स्वागत भाषण करते हुए ईंख अनुसंधान संस्थान पूसा के निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य के राजस्व एवं संसाधन बढ़ाने की दिशा में विवि अग्रणी भूमिका निभा रही है. विभागाध्यक्ष एसके चौधरी ने कहा कि चीनी के उपयोग बढ़ने पर ही अधिकाधिक रोगों से लोगों को सामना करना पर रहा है. लोग गुड़ का उपयोग करना भूल चुके हैं. गुड़ का सेवन पौष्टिकता से परिपूर्ण होता है. शुगर केन के वैज्ञानिक ई. अनुपम अमिताभ ने प्रशिक्षण का विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण में 09 जिले के 45 किसान एवं मिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. संचालन वैज्ञानिक डॉ. सुनीता कुमारी मीना ने किया. वहीं धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डॉ. एसएन सिंह ने किया. मौके पर डॉ. डीएन कामत, डॉ. सीके झा, डॉ. नवनीत कुमार, डॉ. धर्मेंद्र कुमार के अलावे जिला ईंख पदाधिकारी के प्रतिनिधि के रूप में हरेराम प्रसाद आदि मौजूद थे.

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