मूर्ति की मंडियों में बनायीजा रही अभी देवी सरस्वती की प्रतिमा प्रतिमा निर्माण में मालदा कुरेठा की करार मिट्टी का होता है उपयोग पूर्णिया. सरस्वती पूजा के दिन करीब आ गये है और प्रतिमा निर्माण का काम भी उसी तेजी से हो रहा है पर इस साल जिले के मूर्तिकार महंगाई के आगे पस्त और परेशान दिख रहे हैं. चूंकि सामने रोजी-रोटी का सवाल है इसलिए किसी तरह मूर्ती को आकार देने में जुटे हुए हैं. दरअसल, बदलते दौर में मूर्ति के बनाने में लागत बढ़ गई है, किन्तु मूर्ति के दाम नहीं बढ़े सके हैं. मूर्तिकारों को मलाल इस बात का है कि महंगाई का सच जानते हुए खरीदने वाले मूर्ति की गुणवत्ता नहीं बल्कि दाम देख खरीदते हैं. गौरतलब है कि शहर के खुश्कीबाग स्थित कप्तानपाड़ा मूर्तिकारों का बड़ा बसेरा है जहां घर-घर प्रतिमा का निर्माण किया जाता है. इसके अलावा पंचमुखी मंदिर, थाना चौक सहित अन्य जगहों पर भी मूर्ति के छोटे-छोटे बाजार सजते हैं. मूर्तिकारों की परेशानी है कि महंगाई के इस दौर में एक मूर्ति की जितनीलागत आती है उस हिसाब से कोईदाम देने को तैयार नहीं होता. वाजिब दाम में कोई खरीदार नहीं मिलता और सस्ते में बेचने पर घर की पूंजी चली जाती है. महंगाई का आलम यह है कि जिस मिट्टी का भाव पिछले साल 3500 सौ रुपये था, अब इसी मिट्टी का भाव 8000 रुपये टेलर हो गया है. यह मिट्टी पश्चिम बंगाल के मालदा कुरेठा से आती है. इसी तरह अन्य निर्माण सामग्रियों के भाव भी चढ़े हुए हैं. पुआल का भाव पिछले साल से काफी अधिक है. एक हजार आंठिया की कीमत बढ़कर 3000 हो गयी है. पिछले साल इसके दाम 2000 रुपये तक थे. बांस व लकड़ी से लेकर की प्रतिमा को सजाने वाली सामग्री के दाम में भी बेहताशा वृद्धि हुई है. प्रतिमा के दाम पर पड़ा सामग्री की महंगाई का असर निर्माण सामग्री के महंगा होने का असर स्वाभाविक रुप से प्रतिमा के दाम पर भी पड़ा है. देवी सरस्वती की जिस प्रतिमा की कीमत पिछले साल 3 हजार रुपये थी, इस बार उसकी कीमत 5000 से 6000 रुपये तक बतायी जा रही है. सभी साइज की प्रतिमा में दो से तीन हजार की वृद्धि हुई है. जिसकी ऊंचाई दो फीट से लेकर दस फीट तक है. सरस्वती की प्रतिमा अभी 2 हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक बुक करायी जा रही है. सरस्वती पूजा समिति से लेकर स्कूल, कॉलेज व कोचिंग संचालकों द्वारा प्रतिमा की बुकिंग की जा रही है. इसमें अधिकांश 5000 रुपये तक कि प्रतिमा बुकिंग करने की होड़ लगी हुई है. मूर्तिकार अलग-अलग डिजाइन की प्रतिमा बनाकर लोगों को आकर्षित करने लगे हैं. मूर्तिकारों की कोशिश है कि वे तय तिथि तक मूर्तियों की डिलेवरी कर सकें. कड़ाके की ठंड और सूरज न निकलने से उन्हें दिक्कतें आ रही हैं फिर भी उनकी कोशिश जारी है. ———————- मूर्तिकार की बात प्रतिमा निर्माण की सभी सामग्रियों के दाम हर साल बढ़ रहे हैं पर दाम जस के तस हैं. इसके लिए पश्चिम बंगाल के मालदा से कुरेठा मिट्टी खास तौर पर मंगायी जाती है जिसमें मिट्टी के दाम के साथ ट्रांस्पोर्टिंग का खर्च अलग से लगता है. मेरे ख्याल से खरीदारों को इस नजरिये से भी सोचना होगा ताकि मूर्तिकारों की रोजी-रोटी चलती रहे. पूजा कुमारी, महिला मूर्तिकार ———————— आंकड़ों पर एक नजर 3500 सौ रुपये प्रति टेलर था पिछले साल मिट्टी का दाम 8000 रुपये टेलर इस साल मिल रही है मूर्ति की मिट्टी 2000 रुपये प्रति अंटिया पिछले साल मिलता था पुआल 3000 रुपये प्रति अंटिया हो गया है इस साल पुआल का दाम
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