दिघलबैंक. भारत नेपाल सीमा की सुरक्षा में तैनात एसएसबी 12वीं वाहिनी की एफ कंपनी दिघलबैंक कैंप में किशनगंज से आये डॉ फरजाना बेगम ने जवानों को मानव तस्करी के रोकथाम उसे संबंधित गिरोह की पहचान तथा रेस्क्यू किये हुए लड़कियों को सुरक्षित उसके घर पर पहुंचने से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. जवानों को बताते हुए डॉ फरजाना ने प्रशिक्षण में सशस्त्र सीमा बलों को बताया कि केवल मानव अंगों की खरीद फरोख्त ही मानव तस्करी नहीं है. भिक्षावृत्ति, नशाखोरी, बाल विवाह, देह व्यापार, बंधुआ मजदूरी, कैमल जोकिंग, बाल श्रम तथा अवैध तरीके से गोद देने के लिए बच्चों की तस्करी की जाती हैं.
नेपाली लड़कियों की मानव तस्करी
वेश्यावृत्ति के धंधे में नेपाली लड़कियों की बहुत मांग है.नेपाल की लड़किया पूरी दुनिया में सप्लाई की जाती हैं.जिनको बहला फुसलाकर, शादी का झांसा देकर तथा पैसे व नौकरी का लालच देकर ले जाया जाता है. मानव तस्करी के आंकड़े बहुत डरा देने वाले हैं.मानव तस्करी रोकने के लिए सरकारों द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन तस्करों का नेटवर्क बहुत मजबूत है जिसके चलते वह इसमें कामयाब हो जाते हैं. जिसको रोकने के लिए एसएसबी सशस्त्र सीमा बलों के जवानों का प्रयास सराहनीय है.सहयोगी संस्थाओं के साथ साथ नागरिकों की मदद की जरूरत है. एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, चाइल्ड लाइन तथा विशेष किशोर इकाई का सहयोग लिया जाए. बिना बाल कल्याण समिति के आदेश से कोई भी बच्चा सुपुर्द न किया जाए.किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सहमति मायने नहीं रखती है. बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए टोल फ्री नंबर की जानकारी दी गई. एसएसबी सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने इस प्रशिक्षण की सराहना की और कहा कि ये जानकारियां मानव तस्करी रोकने में सहायक सिद्ध होंगी. प्रशिक्षण में कंपनी प्रभारी सहित कैंप के सभी जवान उपस्थित थे .
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