भागलपुर प्रवास के दौरान नेताजी रिक्शे पर सवार होकर खरमनचक स्थित ढेबर गेट समीप उनके आवास से लाजपत पार्क तक गये थे. उनकी तस्वीर यह सुरक्षित है. साथ ही जिस कुर्सी पर बैठे थे, उसी पर उस तस्वीर को सजाकर यादों को संजोने के लिए सुरक्षित रखे हुए हैं.
लाजपत पार्क में सभा करने आए थे नेताजी
रिश्तेदार सह बिहार बंगाली समिति के पूर्व सचिव निरूपमकांति पाल ने प्रभात खबर को बताया कि दो फरवरी 1940 को लाजपत पार्क, भागलपुर में फारवर्ड ब्लॉक की बैठक हुई थी. इस बैठक में शामिल होने नेताजी सुभाष चंद्र बोस भागलपुर आये. यह बात बिहार राज्य अभिलेखागार में वर्णित है. जैसे ही नेताजी का प्रवेश लाजपत पार्क में हुआ, तो सुभाषचंद्र बोस के जयकारों से चारों तरफ गुंजायमान हो उठा. सभा में 60 बंगाली महिलाएं समेत 9000 लोग शरीक हुए. लाजपत पार्क में आयोजित फारवर्ड ब्लॉक की सभा में उन्होंने संबोधित किया और कहा कि जब तक पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक देश किसी भी शर्त पर कोई समझौता बर्दाश्त नहीं करेगा. स्वतंत्रता की लड़ाई को पूरा देश तैयार है. उन्होंने सभा में कम समय तक रुकने और एक-एक कार्यक्रम में भागीदारी नहीं करने के लिए माफी मांगी. जमालपुर और मुंगेर की बैठकों के लिए उनका पहले से ही समय निर्धारित था. इसलिए वे वहां से सीधे जमालपुर जाएंगे. स्वागत भाषण तक को नहीं पढ़ा जा सका.
भागलपुर में हुई थी नेताजी के बड़े भाई की शादी
नेताजी के रिश्तेदार नमिता पाल ने कहा कि दादा ससुर आभाष चंद्र पाल की बहन अरुणा प्रभा की शादी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस से हुई थी. दो फरवरी 1940 को पुराने ढेबर गेट के पास अपने भाई के ससुराल पहुंचे. जिस कुर्सी पर बैठे,अपने घर में उस समय की तस्वीर को सुरक्षित रखकर परिवार के सभी लोग पूजते हैं और उनसे प्रेरित होते हैं.